विद्युत वाहक बल :- एकांक आवेश को परिपथ में प्रवाहित करने के लिए दी गई ऊर्जा को विद्युत वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं।
\footnotesize \boxed { E = \frac{W}{q} } वोल्ट
टर्मिनल विभवान्तर:- किसी परिपथ के दो बिंदुओं जैसे A और B के बीच एकांक आवेश को परिपथ में प्रवाहित करने में उन दो बिंदुओं A और B के बीच के कार्य को टर्मिनल विभवान्तर कहते हैं। इसे V से प्रदर्शित करते हैं।
\footnotesize \boxed { V = E - ir }
आन्तरिक प्रतिरोध :- आन्तरिक प्रतिरोध विद्युत सेल के अंदर घोल में विद्युत धारा के मार्ग में रोक लगाता है। इसे r से प्रदर्शित करते हैं।
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सेल के टर्मिनल विभवान्तर, विद्युत वाहक बल तथा आंतरिक प्रतिरोध में सम्बन्ध
एक सेल जिसका विद्युत वाहक बल E है। आंतरिक प्रतिरोध r को एक कुंजी k द्वारा बाह्य प्रतिरोध R तथा अमीटर A की सहायता से जोड़ा गया है।
माना परिपथ में i विद्युत धारा, t समय के लिए प्रवाहित होती है। तो पूरे परिपथ में सेल द्वारा दी गई विद्युत ऊर्जा ( या किया गया कार्य)
W = Eq
W = Eit समी. ① (q = it)
यदि प्रतिरोध R के सिरों का विभवान्तर (टर्मिनल विभव) V है। तो बाह्य परिपथ में किया गया कार्य
Wबाह्य =Vit समी. ②
यदि सेल के भीतर विभव पतन V है। तो सेल के भीतर किया गया कार्य
Wआन्तरिक = Vit
Wआन्तरिक = (ir) × it (ओम के नियम से V = iR)
Wआन्तरिक = i2rt समी. ③
ऊर्जा संरक्षण के नियम से
Wबाह्य + Wआन्तरिक = W
अब समी. ② व समी. ③ से Wबाह्य तथा Wआन्तरिक के मान रखने पर
Vit + i2rt = W
समी. ① से W का मान रखने पर
Vit + i2rt = Eit
V + it = E
\footnotesize \boxed { V = E - ir }
अब ir = E – V
r = \large \frac{E-V}{i}
r = \large \frac{E-V}{V/R} (ओम के नियम से V = iR)
r = R \large ( \frac{E-V}{V} )
\footnotesize \boxed { r = R ( \frac{E}{V}-1 ) }
जहां r – सेल का आंतरिक प्रतिरोध, R – प्रतिरोध, E विद्युत वाहक बल तथा V = टर्मिनल विभवान्तर है।
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Note – जब सेल को चार्ज किया जाता है। तो टर्मिनल विभवान्तर का मान सेल के विद्युत वाहक बल से अधिक हो जाता है। क्योंकि धारा की विपरीत दिशा में प्रवाहित है।
अतः i = -i रखने पर
\footnotesize \boxed { V = E + ir }