उपसहसंयोजन यौगिकों में आबंधन
उपसहसंयोजन यौगिकों में आबंधन की प्रकृति का अध्ययन सर्वप्रथम वर्नर ने किया था लेकिन वर्नर द्वारा प्रस्तुत सिद्धांत बहुत आधारभूत प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थ रहा।
अतः उपसहसंयोजन यौगिकों में बंधता की प्रकृति को स्पष्ट समझने के लिए कुछ सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। जो निम्न प्रकार से हैं।
1. संयोजकता बंध सिद्धांत
2. क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत
3. लिगेंड क्षेत्र सिद्धांत
4. आणविक कक्षक सिद्धांत
इस लेख के अंतर्गत हम संयोजकता बंध सिद्धांत का संपूर्ण अध्ययन करेंगे। क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धांत दूसरे लेख में समझाया गया है एवं बाकी दो सिद्धांत कक्षा 12 की बुक की सीमा से बाहर हैं।
संयोजकता बंध सिद्धांत
यह सिद्धांत लाइनस पॉलिंग ने दिया था इस सिद्धांत के अनुसार,
1. संकुल यौगिकों में केंद्रीय धातु परमाणु या आयन में उपसहसंयोजन संख्या के बराबर रिक्त कक्षक उपस्थित होते हैं। जिनमें लिगेंडो द्वारा दिए गए इलेक्ट्रॉन का समावेश होता है।
2. केंद्रीय धातु आयन के रिक्त कक्षक संकरित होकर समान संख्या में समान ऊर्जा के नए संकरित कक्षक का निर्माण करते हैं। इन संकरित कक्षा की ज्यामिति निश्चित होती है। एवं संकुल यौगिकों की ज्यामिति निम्न प्रकार से दी गई है।
उपसहसंयोजन संख्या | संकरण का प्रकार | ज्यामिति |
2 | sp | एकरेखीय |
3 | sp2 | त्रिकोणीय समतल |
4 | sp3 | चतुष्फलकीय |
4 | dsp2 | वर्गसमतली |
5 | dsp3 | त्रिकोणीय द्वि-पिरामिडी |
6 | d2sp3 | अष्टफलकीय |
6 | sp3d2 | अष्टफलकीय |
3. केंद्रीय धातु के d-कक्षक में उपस्थित इलेक्ट्रॉन, यौगिक के संकरण तथा ज्यामिति के अनुसार पुनः व्यवस्थित हो जाते हैं।
4. प्रत्येक लिगेंड के पास कम से कम एक कक्षक होता है जिसके पास एकाकी इलेक्ट्रॉन युग में होता है।
5. यदि किसी संकुल यौगिक में एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं तो वह संकुल यौगिक अनुचुंबकीय प्रकृति का होता है।
6. यदि संकुल यौगिक में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं तो वह संकुल प्रतिचुंबकीय प्रकृति का होता है।
Note – संयोजकता बंध सिद्धांत से संबंधित कई प्रश्न आते हैं जिनमें से एक यह है कि –
Q.1 संयोजकता आबंध सिद्धांत का प्रयोग करके [CoCl4]2- की संरचना तथा चुंबकीय प्रकृति को बताइए?
हल – Co संकुल Co2+ में आयन के रूप में उपस्थित है तो
Co(27) = 1s2, 2s22p6, 3s23p63d7, 4s2
Co2+ = 1s2, 2s22p6, 3s23p63d7
चूंकि Cl– एक दुर्बल लिगेंड है इसलिए इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होगा। अतः
![संयोजकता बंध सिद्धांत संयोजकता बंध सिद्धांत](https://studynagar.com/wp-content/uploads/2021/10/संयोजकता-बंध-सिद्धांत.png)
अतः [CoCl4]2- में sp3 संकरित है जिस कारण इसकी संरचना चतुष्फलकीय है तथा इसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं। तो इसकी प्रकृति अनुचुंबकीय है।
ध्यान दें – इस तरह के प्रश्न वार्षिक परीक्षाओं में जरूर आते हैं। इसमें बस आपको प्रबल व दुर्बल लिगेंड के बारे में पता होना चाहिए। और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निकालना आना चाहिए।
संयोजकता बंध सिद्धांत की सीमाएं
संयोजकता बंध सिद्धांत (VBT) द्वारा उपसहसंयोजन यौगिकों की संरचना तथा चुंबकीय प्रकृति की स्पष्ट व्याख्या करता है लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं। जो निम्न प्रकार से हैं।
- यह सिद्धांत संकुल यौगिकों के रंग तथा स्पेक्ट्रम की व्याख्या करने में असमर्थ रहा।
- यह दुर्बल तथा प्रबल लिगेंडो के मध्य अंतर को परिभाषित करने में असमर्थ रहा।
- यह सिद्धांत संकुल यौगिकों की क्रियाविधि की व्याख्या नहीं कर सका।
- यह सिद्धांत चार उपसहसंयोजन संख्या वाले संकुल यौगिकों के लिए चतुष्फलकीय तथा वर्गसमतली संरचनाओं का ठीक प्रकार से अनुमान नहीं लगाता है।
Corrected