अम्लीय वर्षा क्या है कारण और प्रभाव का वर्णन कीजिए, उपाय पर टिप्पणी, pH मान

अम्लीय वर्षा

वह वर्षा जिसमें सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड दोनों ही ऑक्सीजन और जलवाष्प के साथ अभिक्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) तथा नाइट्रिक अम्ल (HNO3) बनाते हैं उसे अम्लीय वर्षा (acid rain in Hindi) कहते हैं।
सामान्य वर्षा जल की pH 5-6 होती है। लेकिन जब वर्षा की pH 5.6 से कम हो जाती है। तो इसे अम्ल वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा में वायु से पृथ्वी की सतह पर अम्ल निक्षेपित हो जाता है।

जीवांश इंधन (जैसे कोयला, भट्टियों, शक्ति संयंत्रों और डीजल तथा पेट्रोलों के इंजन आदि) के दम पर सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पन्न होते हैं।
सल्फर डाइऑक्साइड SO2 और नाइट्रोजन ऑक्साइड NO2 वायुमंडल में ऑक्सीजन और जलवाष्प के साथ अभिक्रिया करके सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) और नाइट्रिक अम्ल (HNO3) बनाते हैं। जो अम्लीय वर्षा में प्रमुख योगदान देते हैं।
2SO2 + O2 + 2H2O \longrightarrow 2H2SO4
4NO2 + O2 + 2H2O \longrightarrow 4HNO3

इस अभिक्रिया में कोहरे में ओजोन के द्वारा वृद्धि होती है। इस प्रकार जो अम्ल बनता है वह या तो वर्षों के दौरान पृथ्वी पर आ जाता है। या बर्फ के दौरान पृथ्वी पर आ जाता है। वर्षा अम्ल मृदा में उपस्थित खनिजों के साथ क्रिया करके सल्फेट और नाइट्रेट बनाते हैं।

पढ़ें... ओजोन परत क्या है, इसका क्षरण, महत्व और प्रभाव, ओजोन छिद्र pdf
पढ़ें… मृदा प्रदूषण क्या है, प्रकार, कारण और नियंत्रित के उपाय, प्रभाव, स्रोत pdf

अम्लीय वर्षा के प्रभाव

  1. अम्लीय वर्षा के कारण जंगलों में पेड़ों को अधिक संख्या में क्षति पहुंचती है।
  2. अम्लीय वर्षा से भारी जल की जगह पर मछलियां जीवित तो रहती हैं लेकिन जनन नहीं करती हैं जिससे मछलियां कम हो सकती हैं।
  3. अम्ल वर्षा मनुष्य तथा जानवरों में श्वसन अवरोध उत्पन्न करती है।
  4. अम्ल वर्षा के कारण जल के पादपों का संक्षारण होता है जिससे आयरन, लेड, कॉपर आदि धातुएं घुलकर पेय जल में पहुंच जाती है।
  5. अम्लीय वर्षा पत्थर और धातुओं से बनी मूर्तियों, भवनों तथा स्मारकों को प्रभावित करती है।
  6. अम्लीय वर्षा कृषि, पेड़-पौधे आदि को नुकसान पहुंचाती है क्योंकि इनकी वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अम्ल वर्षा घोलकर अलग कर देती है।

अम्लीय वर्षा का मूर्तियों या स्मारकों पर प्रभाव

अधिकांश मूर्तियां और स्मारक संगमरमर के बने होते हैं जैसे ताजमहल।
इन स्मारकों के चारों ओर स्थित उद्योगों और मोटर इंजनों से निकलने वाले सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड ही अम्लीय वर्षा के कारण हैं। अम्लीय वर्षा में उपस्थित अम्ली संगमरमर (मार्बल) से क्रिया करने के पश्चात मूर्तियों और स्मारकों को नष्ट कर देते हैं इसका मुख्य उदाहरण ताजमहल है।


शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *