कोलाइडी विलयन के गुण विधियां आदि लगभग सभी बिंदुओं पर हम अध्ययन कर चुके हैं प्रस्तुत अध्याय के अंतर्गत कोलाइडी विलयनों का शुद्धिकरण या शोधन के बारे में चर्चा करेंगे। कोलाइडी विलयन को शुद्ध करने की सबसे प्रमुख विधि अपोहन है। जिसके बारे में हम आगे पढ़ते हैं।
अपोहन
जैसा हमने कोलाइडी विलयन क्या है वाले अध्याय में पढ़ा था। कि किसी जंतु झिल्ली से क्रिस्टलाभ कण सरलता से गति कर जाते हैं। एवं कोलाइडी कण इस झिल्ली में से गमन नहीं कर पाते हैं। अतः जंतु झिल्ली के इस गुण के कारण ही इसे कोलाइडी विलयन के शुद्धिकरण में प्रयोग किया जाता है। इसी आधार पर अपोहन को परिभाषित किया जा सकता है।
“ पार्चमेंट झिल्ली द्वारा कोलाइडी विलयन में से अशुद्धियों को अलग करने की विधि को अपोहन (dialysis in Hindi) कहते हैं। ”
अपोहन विधि में पार्चमेंट झिल्ली, एक थैला (बैग) चित्रानुसार ऊंचाई से जल के टैंक में लटका देते हैं। इस बैग में उपस्थित अशुद्धियां झिल्ली से बाहर निकलकर जल के साथ बह जाती हैं। एवं बैग में शुद्ध कोलाइडी विलयन रह जाता है।
विद्युत अपोहन
इस विधि में अपोहन की विधि से कम समय लगता है इसमें पार्चमेंट झिल्ली के दोनों और इलेक्ट्रोड लगा देते हैं। जब इलेक्ट्रोडों द्वारा विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। तो बैग में उपस्थित अशुद्धियां इलेक्ट्रोडों की ओर तेजी से आकर्षित होकर जल के साथ बह जाती हैं। तथा शुद्ध कोलाइडी विलयन रह जाता है। यह प्रक्रिया विद्युत अपोहन कहलाती है।
अतिसूक्ष्म निस्पंदन
साधारण फिल्टर पेपर से कोलाइडी कण बाहर निकल जाते हैं। चूंकि इन पेपरों के रन्द्रो का आकार बड़ा होता है। अतः कोलाइडी विलयन से अशुद्धियों को दूर करने के लिए साधारण फिल्टर पेपर का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
लेकिन यदि हम अति सूक्ष्म फिल्टर पेपर अर्थात् जिसके छिद्रों का आकार छोटा हो। एवं इसमें से कोलाइडी कणों का विसरण न होता हो।
जब अशुद्ध कोलाइडी विलयन को इस सूक्ष्म फिल्टर पेपर में से गुजारते हैं तो इस पेपर से अशुद्धियां तो बाहर निकल जाती है परंतु कोलाइडी कण इस पेपर के ऊपर ही रह जाते हैं। इसे ही सूक्ष्मतम निस्पंदन अथवा अतिसूक्ष्म फिल्टरन कहते हैं।
Aapke jese notes mene kahi par nahi dekehe
Thanks
Sonu Meena
Thanks for give this notes. 🥰
Super ❤️