चोक कुंडली किसे कहते हैं, सूत्र, सिद्धांत तथा चित्र | choke coil in hindi

चोक कुंडली

एक ऐसी युक्ति जो प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में बिना ऊर्जा का वास होने के परिपथ में धारा की प्रबलता को कम या धारा को नियंत्रित कर देती है। इस युक्ति को चोक कुंडली कहते हैं।

चोक कुंडली की रचना

वह पतली लोहे की क्रोड जिसके ऊपर तांबे के मोटे विद्युत रोधी तार के अनेकों फेरों से लपेटकर एक कुंडली बनाई जाती है इस कुंडली को चौक कुंडली कहते हैं। जैसा चित्र में दिखाया गया है।
क्योंकि विद्युत रोधी तार तांबे का तथा मोटा होता है जिस कारण कुंडली का प्रतिरोध शून्य (नगण्य) हो जाता है। इसके विपरीत तार के फेरों की संख्या अधिक एवं लोहे की क्रोड होने के कारण इस कुंडली का प्रेरकत्व बहुत अधिक हो जाता है जैसा चित्र से स्पष्ट है।

चोक कुंडली किसे कहते हैं, सूत्र, सिद्धांत तथा चित्र
चोक कुंडली

चोक कुंडली का सिद्धांत

चोक कुंडली द्वारा बिना ऊर्जा की हानि के परिपथ में धारा को नियंत्रित किया जा सकता है। यह इसी सिद्धांत पर कार्य करती है।

चूंकि कुंडली में केवल प्रतिरोध तथा प्रेरकत्व होता है तब इस कुंडली की प्रतिबाधा
Z = \sqrt{R^2 + (ωL)^2 }
क्योंकि कुंडली में प्रतिरोध का शून्य होता है। एवं प्रेरकत्व का मान बहुत अधिक होता है यह तो हम जानते ही हैं कि परिपथ में केवल प्रेरकत्व होने से उसमें ऊर्जा क्षय (हानि) बहुत ही कम या शून्य ही होती है इसी कारण यहां कुंडली में ऊर्जा का क्षय बहुत कम होता है तब


LC परिपथ में औसत शक्ति क्षय
P = Vrms × irms × cosϕ
जहां cosϕ कुंडली का शक्ति गुणांक है जिसका मान
cosϕ = \frac{R}{ \sqrt{R^2 + (ωL)^2 } }
चूंकि कुंडली का प्रतिरोध शून्य तथा प्रेरकत्व बहुत अधिक है तब शक्ति गुणांक
cosϕ = 0
इस प्रकार चोक कुंडली में औसत शक्ति क्षय (हानि) लगभग ही शून्य होती है। चोक कुंडली का कार्य करने का सिद्धांत वाटहीन धारा के सिद्धांत पर आधारित है।
अतः चोक कुंडली इसी सिद्धांत पर कार्य करती है।

चोक कुंडली का उपयोग

चोक कुंडली का उपयोग केवल प्रत्यावर्ती धारा AC में ही होता है दिष्ट धारा में इसका उपयोग नहीं किया जाता है। हम जानते हैं कि दिष्ट धारा के लिए कोणीय वेग शून्य होता है (ω = 0)।‌ तब कुंडली में प्रेरण प्रतिघात XL = ωL का मान भी शून्य हो जाएगा। इस कारण कुंडली में केवल प्रतिरोध ही बाकी रह रह जाता है। यह हम पढ़ चुके हैं कि जो कुंडली में प्रतिरोध का शून्य होता है। इसलिए इसका उपयोग केवल AC धारा में ही होता है।

पढ़ें… 12वीं भौतिकी नोट्स | class 12 physics notes in hindi pdf


शेयर करें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *