कक्षा 10 विज्ञान एनसीईआरटी बुक का हमारा पर्यावरण अंतिम अध्याय है। यह नए सिलेबस के आधार पर है इस पाठ का आइये अध्ययन करते हैं।
हमारा पर्यावरण नोट्स
पर्यावरण शब्द से तात्पर्य उन सभी चीजों से है जो हमें चारों ओर से घिरे हुए हैं। इनमें सभी जैविक एवं अजैविक घटक शामिल है। जैविक तथा और जैविक घटकों के पारस्परिक मेल से पारितन्त्र का निर्माण होता है।
पारितन्त्र
एक पारितन्त्र में सभी जैविक व अजैविक घटक शामिल होते हैं। इसलिए ही एक पारितन्त्र जैविक (जीवित जीव) अजैविक घटक (जैसे तापमान, वर्षा, वायु, मृदा आदि) से मिलकर बनता है।
पारितन्त्र दो प्रकार के होते हैं।
1. प्राकृतिक पारितन्त्र – वे पारितन्त्र जो प्रकृति में विद्यमान है। उन्हें प्राकृतिक पारितन्त्र कहते हैं। जैसे – वन, तालाब, झील आदि।
2. कृत्रिम (मानव निर्मित) पारितन्त्र – वे पारितन्त्र जो मानव ने निर्मित किए हैं। उन्हें मानव निर्मित पारितन्त्र या कृत्रिम पारितन्त्र कहते हैं। जैसे – खेत, बगीचा, जलाशय आदि।
Note – सभी निर्जीव घटक जैसे – तापमान, वायु, पानी, मृदा व प्रकाश आदि मिलकर अजैविक घटक का निर्माण करते हैं।
सभी सजीव घटक जैसे – पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव, फफूंदी आदि मिलाकर जैविक घटक का निर्माण करते हैं।
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उत्पादक
सभी हरे पौधे एवं नील-हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है। उत्पादक कहलाते हैं।
उपभोक्ता
वे जीव जो अपने निर्वाह के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर करते हैं। उपभोक्ता कहलाते हैं।
उपभोक्ता को निम्न भाग में बांटा गया है।
1. शाकाहारी
2. मांसाहारी
3. सर्वाहारी
4. परजीवी
आहार श्रृंखला
वह श्रृंखला जिसमें एक जीव द्वारा दूसरे जीव को भोजन के रूप में खाने की क्रमबद्ध प्रक्रिया को आहार श्रृंखला कहते हैं।
उदाहरण – घास → हिरण → शेर
किसी आहार श्रृंखला के विभिन्न चरणों य स्तरों को पोषी स्तर कहते हैं।
• स्वपोषी अथवा उत्पादक, प्रथम पोषी स्तर हैं।
• शाकाहारी अथवा प्राथमिक उपभोक्ता, द्वितीय पोषी स्तर हैं।
• निम्न मांसाहारी अथवा द्वितीय उपभोक्ता, तृतीय पोषी स्तर हैं।
• उच्च मांसाहारी अथवा तृतीय उपभोक्ता, चौथ पोषी स्तर हैं।
सामान्यतः निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या अधिक होती है। अतः उत्पादक स्तर पर जीवों की संख्या सर्वाधिक होती है।
आहार जाल
प्रकृति में आहार श्रृंखला एक सीधी कड़ी के रूप में नहीं होती है। प्रत्येक जीव दो या अधिक जीवों द्वारा खाया जाता है। अर्थात एक आहार श्रृंखला के जीवधारियों का संबंध दूसरी आहार श्रृंखला के जीवधारियों से होता है। जो एक जाल का रूप धारण कर लेती है। जिसे आहार जाल कहते हैं।
ओजोन परत
ओजोन परत पृथ्वी के चारों ओर एक रक्षा कवच है। जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है। पराबैंगनी किरणों से जीवों में अनेक हानियां जैसे – त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद, पौधों का नाश हो सकता है।
ओजोन का निर्माण
ओजोन के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। वायुमण्डल के उच्चतर स्तर पर पराबैंगनी विकिरण (UV) के प्रभाव से ऑक्सीजन (O2) अणुओं से ओजोन (O3) बनती है।
O2 \xrightarrow {पराबैंगनी\,विकिरण} O + O
O2 + O \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} O_3 \\ ओजोन \end{array}
ओजोन परत का ह्रास
अंटार्कटिका में पहली बार ओजोन परत की मोटाई में कमी देखी गई जिसे ओजोन छिद्र नाम से जाना जाता है। ओजोन की मात्रा में इस प्रकार गिरावट का मुख्य कारक मानव द्वारा निर्मित रसायन क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) को माना गया। जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर (शीतलन) एवं अग्निशमन के लिए किया जाता है।
कचरा प्रबंधन
आज के समय में अपशिष्ट निपटान एक मुख्य समस्या है। जो हमारे पर्यावरण को प्रभावित करती है।
वे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों के कारण छोटे घटकों में बदल जाते हैं। अर्थात जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं। जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण – फल तथा सब्जियों के छिलके, सूती कपड़े तथा कागज आदि।
वे पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों के कारण छोटे घटकों में नहीं बदलते हैं। अर्थात जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित नहीं होते हैं। अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं। उदाहरण – प्लास्टिक, पॉलिथीन, संश्लेषित रेशे धातु तथा रेडियोएक्टिव अपशिष्ट आदि।
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class 10 science chapter 13 notes in Hindi
कक्षा 10 विज्ञान का पाठ 13 हमारा पर्यावरण एक महत्वपूर्ण अध्याय है इस अध्याय के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण टॉपिक है जिन पर Study Nagar द्वारा अध्ययन कराया गया है। अगर आप छात्रों का इस पाठ से संबंधित कोई प्रश्न या सुझाव हो तो हमसे कमेंट से संपर्क जरूर करें।