भंवर धारा eddy currents in hindi
जब कोई किसी भी आकृति का धातु का चालक टुकड़ा किसी परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है। तो चालक से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है। जिससे धातु के टुकड़े के समस्त (सम्पूर्ण) आयतन में प्रेरित धाराएं उत्पन्न हो जाती है। जो कि धातु (चालक) के टुकड़े की गति का अथवा चुंबकीय के फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करती है। चूंकि ये धाराएं जल में उत्पन्न भंवर धाराओं के सामान चक्कर दार होती है। इसलिए ही इन धाराओं को भंवर धाराएं कहते हैं।
भंवर धाराओं का मान चालक के प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
यदि चालक का प्रतिरोध अधिक होता है। तो भंवर धाराएं क्षीण (कमजोर) हो जाती है। इसके विपरीत जब चालक का प्रतिरोध कम होता है। तो भंवर धाराएं प्रबल (मजबूत) हो जाती हैं।
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भंवर धारा से हानियां
डायनामो तथा विद्युत मोटर की आर्मेचर कुंडलियों की क्रोड में जो फ्रेम लगा होता है। वह नर्म लोहे के अकेले टुकड़े के रूप में होता है। एवं ट्रांसफार्मर में भी यही रूप होता है। जब इन यंत्रों में AC धारा (प्रत्यावर्ती धारा) प्रवाहित की जाती है। तो इन यंत्रों की क्रोड से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है। जिससे क्रोड के भीतर भंवर धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं। इन भंवर धाराओं के कारण लोहे की क्रोड गर्म हो जाती है। इस प्रकार विद्युत ऊर्जा का उष्मीय ऊर्जा में ह्रास (Loss) हो जाता है।
भंवर धाराओं से बचने के उपाय
डायनामो तथा विद्युत मोटर की क्रोड को नर्म लोहे की बनाने से उनमें भंवर धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं। और विद्युत ऊर्जा का उष्मीय ऊर्जा में नुकसान हो जाता है। इस समस्या को सुलझाने के लिए इन यंत्रों डायनामो मोटर तथा ट्रांसफॉर्म की क्रोड अथवा फ्रेम को एक अकेले नर्म लोहे के रूप न लेकर बल्कि नर्म लोहे की पतली-पतली पत्तियों को जोड़कर बनाते हैं। ऐसा करने से क्रोड का प्रतिरोध बढ़ जाता है। प्रतिरोध के बढ़ जाने से भंवर धाराएं क्षीण (कमजोर) हो जाती है। फलस्वरूप विद्युत ऊर्जा का ह्रास (Loos) कम हो जाता है।
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भंवर धारा के अनुप्रयोग
- चल कुंडली धारामापी को दोलन रूद्ध बनाने के लिए इनका उपयोग होता है। धारामापी की कुंडली तांबे के विद्युत रोधी तार को एल्युमीनियम के फ्रेम पर लपेटकर बनाई जाती है।
- प्रेरण भट्टी में भी भंवर धाराओं का उपयोग किया जाता है।
- प्रेरण मोटर में भंवर धाराओं का उपयोग होता है।
- विद्युत रेलगाड़ियों में भंवर धाराओं का प्रयोग होता है। जब रेलगाड़ी को रोकना होता है तो इसकी पहियों के साथ लगे ड्रम में एक साथ प्रबल चुंबकीय क्षेत्र लगाया जाता है। जिससे ड्रम में भंवर धारा उत्पन्न हो जाती हैं जो ड्रम की गति का विरोध करती हैं इस प्रकार ड्रम के साथ-साथ पहिए भी रुक जाते हैं।
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Bhut acha h sir but language bhut badi hoti h , short notice