हरित रसायन
रसायनिक उत्पादों व अनुक्रमों की वह रचना जो विषैले पदार्थों के उत्पादन तथा प्रयोग को कम या पूर्ण रूप से समाप्त कर सकें, इसे ही हरित रसायन (green chemistry in Hindi) कहते हैं।
हरित रसायन पर्यावरण प्रदूषण को कम करने का एक वैकल्पिक उपाय है। इसमें पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले विषैले पदार्थों का उत्पादन ही नहीं किया जाए।
हरित रसायन वह प्रक्रम है। जो पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण या खराबी लाए। किसी एक प्रक्रम में उत्पन्न होने वाले सह-उत्पादों को अगर लाभदायक तरीके से प्रयोग में नहीं लिया जाए, तो वह पदार्थ पर्यावरण प्रदूषण में सहायक होते हैं। व्यापारिक रासायनिक पदार्थों जैसे औषधियों, प्लास्टिक आदि के संश्लेषण इस प्रकार से डिजाइन किए जा रहे हैं। जिनमें सभी अभिकारक वांछित उत्पाद में परिवर्तित हो जाएं। कोई भी अपशिष्ट से उत्पाद न बने, जिससे पर्यावरण प्रदूषण में कुछ कमी होगी क्योंकि औद्योगिक अपशिष्ट स्वयं मुख्य प्रदूषक है।
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हरित रसायन के सिद्धांत
हरित रसायन के कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो निम्न प्रकार से हैं।
1. कच्चे माल का बहुत गुणकारी प्रयोग करना।
2. उन प्रारंभिक पदार्थों, अभिकारको तथा विलायकों का प्रयोग करना जिनका वातावरण तथा मनुष्य पर प्रभाव बहुत कम या नहीं पड़ता हो।
3. उन सभी वैकल्पिक साधनों को खोजना और प्रयोग करना, जो पर्यावरण के लिए प्रदूषण नहीं है।
4. उन रसायनिक अभिक्रिया का प्रयोग करना जिनमें सभी अभिकारक वांछित उत्पाद में बदल जाए कोई अपशिष्ट उत्पन्न न हो।
हरित रसायन का दैनिक जीवन में अनुप्रयोग
हरित रसायन को निम्न प्रकार से दैनिक जीवन में प्रयोग में लाया जा सकता है।
1. रसायनों का संश्लेषण – औद्योगिक स्तर पर एथीन का ऑक्सीकरण आयनिक उत्प्रेरकों तथा जलीय माध्यम की उपस्थिति में कराया जाए तो एथेनॉल प्राप्त होता है।
\scriptsize \begin{array}{rcl} CH_2=CH_2 \\ एथीन \end{array} + O2 \xrightarrow [जल\,में] {Pd(II), Cu(II)} \scriptsize \begin{array}{rcl} CH_3CHO \\ एथेनॉल \end{array}
इसमें लगभग 90% एथेनॉल प्राप्त होती है।
2. जल का शुद्धिकरण – उद्योगों के अशुद्ध जल को स्वच्छ करने के लिए फिटकरी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन प्रयोगों द्वारा यह पाया गया है कि फिटकरी विषैली होती है तथा जल में इसके विषैले आयनों की वृद्धि के कारण पानी को पीने से बीमारियां हो सकती हैं।
अतः फिटकरी के स्थान पर जल को स्वच्छ करने के लिए इमली के बीजों का चूर्ण एक प्रभावी सामग्री है यह सस्ता होता है एवं विषैला भी नहीं होता है और यह जैव निम्नीकृत हो सकता है।
3. कपड़ों की धुलाई – प्रारंभ में कपड़ों की धुलाई में टेट्राक्लोरोएथीन (Cl2C=Cl2) का प्रयोग विलायक के रूप में किया जाता था। यह यौगिक जमीन को दूषित करता था तथा एक कैंसरजन्य भी है। इसके स्थान पर आजकल हाइड्रोजन परॉक्साइड का उपयोग लॉन्ड्री में कपड़ों की विरंजन के लिए किया जाता है। जो विषैला भी नहीं है साथ ही इसके प्रयोग से जल का भी कम प्रयोग होता है।
4. कागज की सफाई – कागज की सफाई में क्लोरीन गैस प्रयोग की जाती है। जो एक जहरीली गैस है लेकिन आजकल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन परॉक्साइड प्रयोग किया जाता है। जो विरंजक क्रिया की दर में वृद्धि करता है।