कणिकीय प्रदूषक क्या है, स्रोत एवं हानिकारक प्रभाव लिखिए

कणिकीय प्रदूषक

वायु में निलंबित सूक्ष्म ठोस कण अथवा द्रवीय बूंदें कणिकीय प्रदूषक कहलाती हैं। कणिकीय प्रदूषक कणों का आकार 5nm से 500000nm तक हो सकता है। इन कणों की सांद्रता विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। स्वच्छ वायु में कणिकीय प्रदूषकै की संख्या 100 cm³ होती है। जबकि प्रदूषित वायु में इनकी संख्या 100000 cm³ हो सकती है।

कणिकीय प्रदूषक मोटर वाहनों के उत्सर्जन, आग के धुम्र, उद्योगों की राख व धूलकण होते हैं। वायुमंडल में कणिकाएं जीवित तथा अजीवित दोनों प्रकार की हो सकती हैं। जीवित कणिकाओं में कवक, फफूंद, शैवाल, जीवाणु आदि उपस्थित हो सकते हैं। यह कुछ जीवित कवक मनुष्यों में एलर्जी उत्पन्न कर सकते हैं।

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कणिकीय प्रदूषक के स्रोत

  • मिट्टी एवं धूल का हवा द्वारा उड़ना कणिकीय प्रदूषक का एक प्राकृतिक स्रोत है।
  • ज्वालामुखी के फटने पर अत्यधिक कणिकीय प्रदूषक का उत्पन्न होना।
  • पैराफिन, ओलेफिन व एरोमैटिक यौगिक आदि कार्बनिक कणिकीय प्रदूषक हैं। यू स्थायी ईंधनों तथा स्वचालित वाहनों में जीवांश ईंधनों के दहन से उत्पन्न होते हैं।
  • धात्विक ऑक्साइड, धात्विक कण, सल्फ्यूरिक अम्ल की बूंदे, नाइट्रिक अम्ल की बूंदे तथा लैड हैलाइड आदि अकार्बनिक कणिकीय प्रदूषक है।

कणिकीय प्रदूषक के प्रभाव

  1. कणिकीय प्रदूषक धातुओं के संक्षारण में वृद्धि करते हैं।
  2. कणिकीय प्रदूषक मनुष्यों में फेफड़ों का कैंसर, ब्रोंकाइटिस, सिलिकोसिस तथा मस्तिष्क पर अनेक रोग उत्पन्न करता है।
  3. कणिकीय पदार्थ सूर्य की ऊष्मा को पृथ्वी तक पहुंचने नहीं देती है। यह सूर्य की ऊष्मा को अंतरिक्ष से वापस कर देते हैं।

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