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विकिरण तथा द्रव्य की द्वेती प्रकृति
उन्नीसवीं शताब्दी तक वैज्ञानिकों की धारणा थी कि प्रकाश तरंगों के रूप में चलता है। प्रकाश का परावर्तन, अपवर्तन, व्यतिकरण तथा विवर्तन जैसी घटनाओं की व्याख्या प्रकाश का तरंग के रूप में मानकर ही की जा सकती है। लेकिन प्रकाश विद्युत प्रभाव, रमन प्रभाव तथा काॅम्पटन प्रभाव की व्याख्या प्रकाश को तरंग मानकर नहीं की जा सकती है। इन घटनाओं की व्याख्या प्रकाश को कण मानकर होती है। इस प्रकार प्रकाश की दोहरी प्रकृति ने वैज्ञानिकों को भ्रम में डाल दिया। फिर अंत में यह माना गया कि प्रकाश में तरंग तथा कण दोनों प्रकार की प्रकृति पाई जाती है।
प्रकाश कण तथा तरंग दोनों के समान बिहार कर सकता है। कुछ घटनाओं में यह कण की भांति व्यवहार करता है तथा कुछ परिस्थितियों में यह तरंग की भांति व्यवहार करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु
• प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या के अनुसार प्रकाश ऊर्जा के पैकेटों के रूप में चलता है इन पैकेटों फोटोन कहते हैं। हर एक फोटोन की ऊर्जा hv के बराबर होती है।
• h प्लांक नियतांक है जिसका मान 6.6 × 10-34 जूल-सेकंड होता है।
• प्रत्येक फोटोन का कार्य फलन W द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
W = hv०
जहां v० देहली आवृत्ति है।
• चूंकि फोटोन का संवेग P = hv/C होता है इसलिए इस की तरंगदैर्ध्य
λ = C/v = h/P
इस तरंगदैर्ध्य को डी ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य कहते हैं।
• प्रकाश में कण तथा तरंग दोनों ही प्रकृति विद्यमान हैं। कुछ परिस्थितियों में प्रकाश तरंग की भांति व्यवहार करता है। एवं कुछ परिस्थितियों में प्रकाश कण की भांति व्यवहार करता है इसलिए प्रकाश की द्वेती प्रकृति होती है।
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