प्रत्यय
प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है। प्रति + अय
‘प्रति’ का अर्थ होता है साथ में, पर बाद में तथा ‘अय’ का अर्थ होता है चलने वाला या लगने वाला।
अर्थात् प्रत्यय का अर्थ होता है। शब्दों के साथ में, पर बाद में लगने वाला। अतः प्रत्यय का प्रयोग शब्दों के अंत में किया जाता है। Pratyay kise kahate hain यह निम्न प्रकार से है।
प्रत्यय की परिभाषा
वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जोड़े जाते हैं। एवं इनके जोड़ने से शब्द का अर्थ बदल जाता है। तो उन्हें प्रत्यय (pratyay in Hindi) कहते हैं।
प्रत्यय अवकारी शब्दांश है। जो शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं। अर्थात् शब्द में नवीन विशेषता उत्पन्न कर देते हैं। जैसे –
लिख शब्द के अंत में आवट प्रत्यय के जोड़ने पर लिखावट शब्द बनता है।
Note – प्रत्यय का अपना अर्थ कुछ भी नहीं होता है। और न ही इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है।
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प्रत्यय के उदाहरण
1. सफल + ता → सफलता
2. लिख + आई → लिखाई
3. भोला + पन → भोलापन
इन शब्दों में ‘ता’ , ‘आई’ तथा ‘पन’ शब्दांश प्रत्यय हैं। जो ‘सफल’ , ‘लिख’ और ‘भोला’ मूल शब्दों के अंत में जोड़े जाने पर ‘सफलता’ , ‘लिखाई’ तथा ‘भोलापन’ शब्दों की रचना करते हैं।
प्रत्यय के भेद या प्रकार
प्रत्यय के दो भेद या प्रकार होते हैं।
1. कृत् प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय
Note – प्रत्येक का एक प्रकार स्त्री प्रत्यय भी होता है लेकिन मूलतः इन दोनों को ही माना जाता है।
1. कृत् प्रत्यय
वे शब्दांश जो क्रिया के मूल रूप यानी धातु के अंत में जुड़कर नवीन शब्द बनाते हैं। उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं। कृत प्रत्यय से बने शब्दों को कृदंत शब्द कहते हैं।
क्रियाओं के सामान्य रूप जैसे – पढ़ना, उठना आदि में से ‘ना’ को निकालने के बाद बचा रूप धातु कहलाता है।
जैसे – ‘पठ’ धातु में ‘आई’ प्रत्यय जुड़कर पढ़ाई शब्द बनता है।
2. तद्धित प्रत्यय
वे शब्दांश जो धातु के अतिरिक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि के अंत में जुड़कर नवीन शब्द बनाते हैं। उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
जैसे – सुंदर और कठिन शब्दों में ‘ता’ और ‘आई’ प्रत्यय जुड़कर नवीन शब्द ‘सुंदरता’ और ‘कठिनाई’ बनते हैं।
Note – मुख्यतः प्रत्यय दो प्रकार के ही होते हैं। कृत् और तद्धित। लेकिन हिंदी भाषा के प्रत्यय को चार भागों में विभाजित किया गया है।
1. संस्कृत प्रत्यय
2. हिंदी प्रत्यय
3. विदेशज प्रत्यय
4. ई प्रत्यय
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Note – कृत्, तद्धित और स्त्री प्रत्यय हिंदी और संस्कृत प्रत्यय के तीन-तीन भाग हैं।
Note – अगर आप कक्षा 10 के छात्र हैं। तो आप “आई, वट, हट, ता, पन, त्व, वा, वान, ईय, मान, इक आदि को ही पढ़ें।
लेकिन फिर भी आपको सलाह दी जाती है कि एक बार अपने Board Syllabus से जरूर मिला लें और वहीं पढ़ें जो आप के सिलेबस में दिया गया है।
प्रतियोगी परीक्षार्थी को सभी प्रत्यय को अच्छे से पढ़ना चाहिए।
प्रत्यय | उदाहरण |
आई | लिखाई, पढ़ाई, भलाई, कठिनाई |
वट | बनावट, सजावट, लिखावट |
हट | गरमाहट, घबराहट, जगमगाहट |
ता | सुंदरता, कविता, ममता, महानता |
पन | बचपन, भोलापन, पागलपन, बालकपन |
त्व | महत्व, कवित्व, प्रभुत्व, गुरुत्व |
वा | दिखावा, चलावा, पछतावा, पहनावा |
वान | बलवान, पहलवान, गाड़ीवान |
मान | अपमान, सम्मान, गतिमान |
संस्कृत के कृत् प्रत्यय
प्रत्यय | धातु | उदाहरण |
क्तिन् (ति) | दृश, कृ | दृष्टि, कृति |
तव्य | गम्, रक्ष् | गन्तव्य, रक्षितव्य |
क्त | पठ्, दा | पठित, दत्त |
अनीय | कथ्, रक्ष | कथनीय, रक्षणीय |
यत् (य) | लभ्, गम् | लभ्य, गम्य |
तृच् (तृ) | दा, कृ | दातृ, कर्तृ |
अक् | पाठ्, लेख | पाठक, लेखक |
धञ् | धृ, भृ | धर, भर |
संस्कृत के तद्धित प्रत्यय
प्रत्यय | मूलशब्द | उदाहरण |
आयन | तिलक, वत्स | तिलकायन, वात्स्यायन |
इत् | पुष्प, तृषा | पुष्पित, तृषित |
इम् | पश्च, अग्र | पश्चिम, अग्रिम |
इय् | क्षत्र | क्षत्रिय |
ईन् | काल, नव | कालीन, नवीन |
तः | वस्तु, मुख्य | वस्तुतः, मुख्यतः |
त्व | प्रभु, पुरुष | प्रभुत्व, पुरुषत्व |
त्र | यत्, कु | यत्र, कुत्र |
मान् | शक्ति, श्री | शक्तिमान्, श्रीमान् |
वान् | बल, धन | बलवान्, धनवान् |
वत् | ब्राह्मण, पुत्र | ब्राह्मणवत्, पुत्रवत् |
श | तर्क, कर्क | तर्कश, कर्कश |
सात् | आत्म, भूमि | आत्मसात्, भूमिसात् |
मय् | तप, शक्ति | तपमय, शक्तिमय |
संस्कृत के स्त्री प्रत्यय
स्त्री प्रत्यय पुल्लिंग शब्दों के अंत में लगते हैं।
प्रत्यय | मूलशब्द | उदाहरण |
आ | अश्व, वृद्ध | अश्वा, वृद्धा |
इका | बालक, अध्यापक | बालिका, अध्यापिका |
इनी | गृह, भर | गृहणी, भरिणी |
ई | दास, बुरा | दासी, बुराई |
वती | पुत्रवान्, धनवान् | पुत्रवती, धनवती |
मती | श्रीमान्, आयुष्मान् | श्रीमती, आयुष्मती |
हिंदी के कृत प्रत्यय
प्रत्यय | धातु/मूलशब्द | उदाहरण |
अक्कड़ | घूम, भूल | घुमक्कड़, भुलक्कड़ |
अन्त | भिड़, पिट | भिड़न्त, पिटन्त |
आ | मेल, ठेल | मेला, ठेला |
आई | पढ़, लिख | पढ़ाई, लिखाई |
आऊ | बिक, टिक | बिकाऊ, टिकाऊ |
आक/आका/आकू | तैर, लड़, पढ़ | तैराक, लड़ाका, पढ़ाकू |
आन | मिल, ढल | मिलान, ढलान |
आप/आपा | मिल, पुज | मिलाप, पूजापा |
आवट | लिख, सजा | लिखावट, सजावट |
आहट | घबरा, चिल्ला | घबराहट, चिल्लाहट |
आवना/आवनी | डरा, चेता | डरावना, चेतावनी |
इयल | अड़, मर | अड़ियल, मरियल |
आस | मीठा, पी | मिठास, प्यास |
इया | घट, बढ़ | घटिया, बढ़िया |
ई | फांस, बोल | फांसी, बोली |
ऊ | चाल, काट | चालू, काटू |
एरा | लूट, बस | लुटेरा, बसेरा |
ऐया | काट, बचा | कटैया, बचैया |
ऐत | लड़, फेंक | लड़ैत, फेंकैत |
ओड़/ओड़ा | हॅंस, आग | हॅंसोड़ा, अगोड़ा |
औता/औती | समझा, चुन | समझौता, चुनौती |
औना/औनी | खेल, पहर | खिलौना, पहरौनी |
हिंदी के तद्धित प्रत्यय
प्रत्यय | मूलशब्द | उदाहरण |
आ | भूख, प्यास, प्यार | भूखा, प्यासा, प्यारा |
आई | अच्छा, विदा | अच्छाई, विदाई |
आन/आनी | चौड़ा, देवर | चौडान, देवरानी |
आर/आरा/आरी | सोना, घास, भीख | सोनार, घसियारा, भिकारी |
आहट | गरम, चिकना | गरमाहट, चिकनाहट |
आस | मीठा, खट्टा | मिठास, खट्टास |
ई | खेत, अंगूठा | खेती, अंगूठी |
इया | खाट, पुल | खटिया, पुलिया |
ईला | खर्च, जहर | खर्चीला, जहरीला |
ऊ | ढ़ाल, गरज | ढ़ालू, गरजू |
एर/एरा | अंध, चाचा | अंधेर, चचेरा |
एरी/एड़ी | पूजा, गॉंजा | पूजेरी, गॅंजेड़ी |
औती | काठ, मान | कठौती, मनौती |
ओला | खाट, सांप | खटोला, संपोला |
ऐल/ऐला | गुस्सा, विष | गुस्सैल, विषैला |
क | ढोल, धम | ढोलक, धमक |
पन | अपना, पागल | अपनापन, पागलपन |
पा | अपना, बूढ़ा | अपनापा, बुढ़ापा |
हारा | लकड़ी, पानी | लकड़हारा, पनिहारा |
सा | आप, तुम | आप-सा, तुम-सा |
वाल/वाला | धारी, गाड़ी | धारीवाल गाड़ीवाला |
हिंदी के स्त्री प्रत्यय
प्रत्यय | मूलशब्द | उदाहरण |
आइन | पंडित, लाला | पंडिताइन, ललाइन |
आनी | राजपूत, जेठ | राजपूतानी, जेठानी |
इन | तेली, दर्जी | तेलिन, दर्जिन |
इया | चूहा, बेटा | चुहिया, बिटिया |
नी | शेर, मोर | शेरनी, मोरनी |
विदेशज प्रत्यय
विदेशी भाषाओं से आए हुए प्रत्ययों को विदेशज प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय | मूलशब्द | उदाहरण |
कार | पेश, सलाह | पेशकार, सलाहकार |
खाना | डाक, मुर्गी | डाकखाना, मुर्गीखाना |
खोर | रिश्वत, हराम | रिश्वतखोर, हरामखोर |
दान | इत्र, पान | इत्रदान, पानदान |
नाक | दर्द, शर्म | दर्दनाक, शर्मनाक |
दार | दुकान, माल | दुकानदार, मालदार |
गार | मदद, रोज़ | मददगार, रोज़गार |
इन्दा | वसि, चुनि | बसिन्दा, चुनिन्दा |
ई प्रत्यय
ई प्रत्यय के प्रयोग से भाववाचक स्त्रीलिंग शब्दों का निर्माण होता है।
प्रत्यय | मूलशब्द | उदाहरण |
ई | दोस्त, रिश्तेदार | दोस्ती, रिश्तेदारी |
बाज़/बाज़ी | धोखे, चाल | धोखेबाज, चालबाजी |
आना | मर्द, मस्त | मर्दाना, मस्ताना |
साज़ | घड़ी, जिल्द | घड़ीसाज़, जिल्दसाज़ |
गाह | ईद, बंदर | ईदगाह, बंदरगाह |
ईना | माह, नग | महीना, नगीना |
Note – Class 10 और class 12 के छात्र अपनी Board Syllabus की किताब से मिलाकर उन्हीं प्रत्ययों का अध्ययन करें। जो आपके सिलेबस में है। ऐसे ही कक्षा 9 और कक्षा 11 तथा छोटी कक्षाओं के छात्र भी अपनी Book के हिसाब से ही पढ़ें।
प्रतियोगी परीक्षार्थी सभी प्रत्ययों को पढ़ें और नियम को समझें।
प्रत्यय संबंधित प्रश्न उत्तर
Q.1 प्रत्यय किसे कहते हैं इसके कितने प्रकार हैं?
Ans. वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जोड़े जाते हैं। एवं इनके जोड़ने से शब्द का अर्थ बदल जाता है। तो उन्हें प्रत्यय कहते हैं। मूलतः प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं।
Q.2 प्रत्यय क्या है उदाहरण सहित लिखिए?
Ans. प्रत्यय अवकारी शब्दांश है। जो शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में या भाव में परिवर्तन कर देते हैं।
जैसे – लिख शब्द के अंत में आवट प्रत्यय के जोड़ने पर लिखावट शब्द बनता है।
Q.3 तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं?
Ans. वे शब्दांश जो धातु के अतिरिक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि के अंत में जुड़कर नवीन शब्द बनाते हैं। तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।