ट्रांसफार्मर
यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित एक ऐसा उपकरण है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के विभव में परिवर्तन किया जाता है।
अतः यह प्रत्यावर्ती धारा के विभव को बिना किसी ऊर्जा हानि के कम या ज्यादा करता है क्योंकि यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है इसलिए ही इस यह केवल प्रत्यावर्ती धारा में ही प्रयुक्त किए जाते हैं। दिष्ट धारा में इसका उपयोग नहीं होता है।
ट्रांसफार्मर की रचना
इसमें नर्म लोहे की आयताकार आकृति की पत्तियां होती हैं जो एक दूसरे के ऊपर रखकर पटलित क्रोड का रूप देती हैं। पटलित क्रोड अनेकों पत्तियों द्वारा ही बनाई जाती है। इससे क्रोड में भंवर धाराएं कम उत्पन्न होती हैं और विद्युत ऊर्जा की हानि में कमी आ जाती है भंवर धाराएं क्या है इसके बारे में हम पीछे पड़ चुके हैं।
अब इस प्रकार पतियों द्वारा दो कुंडली बनाई जाती हैं और इन कुंडलियों में से एक कुंडली में तांबे के मोटे तार के कुछ कम फेरे होते हैं। तथा दूसरी कुंडली में तांबे के तार के अधिक से लपेटे जाते हैं। इन दोनों कुंडलियों में से एक कुंडली को प्राथमिक कुंडली तथा दूसरी को द्वितीयक कुंडली कहते हैं।
ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत
जब प्राथमिक कुंडली में प्रत्यावर्ती धारा स्रोत से धारा प्रवाहित की जाती है तब धारा के प्रत्येक चक्कर में नर्म लोहे की क्रोड एक बार एक दिशा में तथा दूसरी बार दूसरी दिशा में चुंबकित होती रहती है चूंकि द्वितीयक कुंडली भी इसी क्रोड से जुड़ी (लिपटी) हुई है अतः क्रोड के बार-बार एक दूसरी दिशा में चुंबकित होने के कारण चुंबकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है। इस प्रकार विद्युत चुंबकीय प्रेरण के प्रभाव द्वारा द्वितीयक कुंडली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। एवं इसकी आवृत्ति वही है जो प्राथमिक कुंडली में होती है।
माना प्राथमिक कुंडली में फेरों की संख्या Vप्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडली में फेरों की संख्या Vद्वितीयक है। एवं इससे बद्ध चुंबकीय फ्लक्स का मान ϕB है तो प्राथमिक कुंडली में
फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण के नियम से विद्युत वाहक बल
eप्राथमिक = -Nप्राथमिक \large \frac{∆ϕ_B}{∆t}
इसी प्रकार द्वितीयक कुंडली में
eद्वितीयक = -Nद्वितीयक \large \frac{∆ϕ_B}{∆t}
अब दोनों समीकरणों की तुलना करने पर
\footnotesize \boxed { \frac{e_{प्राथमिक}}{e_{द्वितीयक}} = \frac{N_{प्राथमिक}}{N_{द्वितीयक}} }
कहीं-कहीं इन्हें इस प्रकार भी लिखा जाता है
\footnotesize \boxed { \frac{e_p}{e_s} = \frac{N_p}{N_s} }
या \footnotesize \boxed { e_p × N_s = N_p × e_s }
जहां ep व es क्रमशः प्राथमिक तथा द्वितीयक कुंडली के विद्युत वाहक बल हैं।
ट्रांसफार्मर में ऊर्जा की हानि
ट्रांसफार्मर में जब धारिता प्रवाहित की जाती है तो दोनों कुंडलियों के बीच चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न हो जाता है। जिससे ट्रांसफार्मर में ऊर्जा की हानि होने लगती है इसी हानि को कम करने के लिए ट्रांसफार्मर में पटलित लोहे की क्रोड का प्रयोग होता है। इससे चुंबकीय फ्लक्स का क्षय कम हो जाता है।
ट्रांसफार्मर का सूत्र
ट्रांसफार्मर संबंधी सभी आंकिक प्रश्न एक ही सूत्र द्वारा हल हो जाते हैं।
\footnotesize \boxed { \frac{e_p}{e_s} = \frac{N_p}{N_s} }
यही सूत्र ट्रांसफार्मर कर सूत्र कहलाता है इसके अतिरिक्त एक और सोच रहे जो इसी के जैसा ही है।
\large \frac{e_p}{e_p} = \frac{N_s}{N_s} = r
जहां r को परिणमन अनुपात कहते हैं
ट्रांसफार्मर के उपयोग
ट्रांसफार्मर का पहला सबसे महत्वपूर्ण उपयोग बिजली घरों में विद्युत ऊर्जा को शहरों व घरों तक आवश्यकतानुसार करके पहुंचाना है। प्रायः घरों में 220 वोल्ट की विद्युत ऊर्जा आती है बिजली घरों में विद्युत ऊर्जा 220 वोल्ट से बहुत ऊंची आती है। अतः ट्रांसफार्मर से बिजली को गुजार कर 220 वोल्ट कर दिया जाता है।
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Tq sir 👍
WA Sir kya notes bnaya
Nice sir
Wow