वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत | Van de graaff generator Ka Siddhant

वान डी ग्राफ जनित्र क्या है, रचना, कार्यविधि और उपयोग के बारे में हम पहले ही पढ़ चुके हैं। इसमें हमें वान डी ग्राफ जनित्र के सिद्धांत के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन करेंगे।

वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत

वान डी ग्राफ जनित्र का कार्य करने का सिद्धांत दो घटनाओं पर आधारित है।
1. किसी खोखले चालक को दिया गया सम्पूर्ण आवेश केवल उसके बाहरी पृष्ठ पर संपूर्ण रूप से उपस्थित रहता है। तथा एक समान रूप से वितरित रहता है।
2. किसी आवेशित चालक से वायु में विद्युत विसर्जन उसके नुकीले सिरे के द्वारा होता है।

सिद्धांत-1 की उत्पत्ति

माना चालक A एक R त्रिज्या के खोखले गोले B से घिरा है। जिस पर +Q आवेश है। गोले के पृष्ठ पर स्थित आवेश को केंद्र पर केंद्रित मान सकते हैं। तो गोले पर A विभव

वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत
वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत

VA = \large( \frac{1}{4πԐ_0} \frac{q}{r}) + (\frac{1}{4πԐ_0} + \frac{Q}{R})
तथा गोले पर B विभव
VB = \large( \frac{1}{4πԐ_0} \frac{Q}{R}) + (\frac{1}{4πԐ_0} + \frac{q}{R})
विभवान्तर     VA – VB = \large( \frac{1}{4πԐ_0} \frac{q}{r}) + (\frac{1}{4πԐ_0} + \frac{Q}{R}) [ \large( \frac{1}{4πԐ_0} \frac{Q}{R}) + (\frac{1}{4πԐ_0} + \frac{q}{R}) ]
VA – VB = \large( \frac{1}{4πԐ_0} \frac{q}{r}) + (\frac{1}{4πԐ_0} + \frac{Q}{R}) \large( \frac{1}{4πԐ_0} \frac{Q}{R}) - (\frac{1}{4πԐ_0} + \frac{q}{R})
\boxed {V_A - V_B = \frac{q}{4πԐ_0} [ \frac{1}{r} - \frac{1}{R} ] }

इस समीकरण से स्पष्ट है कि विभवान्तर का मान कोश B के आवेश Q पर निर्भर नहीं करता है। तथा विभवान्तर (VA – VB) एक धनात्मक (positive) राशि है। अतः भीतरी गोला सदैव उच्च विभव पर रहता है। यदि हम दोनों को गोलों को तार से जोड़ दें तो आवेश छोटे गोले से बड़े गोले पर प्रभावित होगा। इससे बड़े गोले का विभव बढ़ता चला जाएगा। जो लगभग 3 × 106 मीटर की कोटि का होता है।
यही वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत है
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सिद्धांत-2 की उत्पत्ति

माना किसी गोले की त्रिज्या r है जब इसे q आवेश दिया जाता है। तो इसके विभव में होने वाली वृद्धि

V = \large \frac{1}{4πԐ_0} \frac{q}{r}
या     q = 4π_0 V r
आवेश का पृष्ठ घनत्व σ = \large \frac{q}{A}
σ = \large \frac{4πԐ_0\,r\,V}{4πr^2}     (चूंकि गोले का क्षेत्रफल A=4πr2 )
σ = \large \frac{Ԑ_0V}{r}
σ ∝ \large \frac{1}{r}

आवेशित चालक के पृष्ठ पर नुकीले सिरे होने के कारण ( r→ 0 )। अतः ( r→ ∞ ) इस उच्च आवेश घनत्व के कारण आवेश का क्षरण होता है। जिस कारण नुकीले सिरों के संपर्क में वायु के कण आवेश ले जाते हैं। और इस प्रकार नुकीले सिरों के सामने आवेशित कणों की एक धारा बन जाती है। यही वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत Van de graaff generator Ka Siddhant है।

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StudyNagar

हेलो छात्रों, मेरा नाम अमन है। Physics, Chemistry और Mathematics मेरे पसंदीदा विषयों में से एक हैं। मुझे पढ़ना और पढ़ाना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। मैंने 2019 में इंटरमीडिएट की परीक्षा को उत्तीर्ण किया। और 2022 में इलेक्ट्रीकल ब्रांच से पॉलिटेक्निक को पूरा किया। इसलिए ही मैं studynagar.com वेबसाइट के माध्यम से आप सभी छात्रों तक अपने विचारों को आसान भाषा में सरलता से उपलब्ध कराने के लिए तैयार हूं। धन्यवाद

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