Physics class 12 chapter 3 notes in Hindi
chapter 3 के इस notes के अंदर सभी Topic ncert book से लिये गए हैं। और सभी टॉपिको की परिभाषा, उत्पत्ति व कारण सहित वर्णन किया गया है।
विद्युत धारा :-
किसी चालक में आवेश के प्रवाह की दर को चालक में प्रवाहित विद्युत धारा कहते हैं। इसे i से प्रदर्शित करते हैं।
यदि किसी चालक में q आवेश t समय तक प्रवाहित किया जाता है। तो विद्युत धारा
\footnotesize \boxed { i = \frac{q}{t} }
विद्युत धारा का मात्रक को कूलाम/सेकण्ड अथवा ऐम्पियर (A) होता है। यह एक आदिश राशि है।
Note –
1 इलेक्ट्रॉन पर 1.6 × 10-19 कूलाम आवेश होता है। तो 1 कूलाम आवेश के लिए इलेक्ट्रॉनो की संख्या
\large \frac{1}{1.6×10^{-19}} = 6.25 × 10^{18} इलेक्ट्रॉन
अतः 1 कूलाम आवेश में 6.25 × 1018 इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होते हैं।
तो इस प्रकार
1 एम्पियर = 6.25 × 1018/1 इलेक्ट्रॉन/सेकण्ड
\footnotesize \boxed { 1 एम्पियर = 6.25 × 10^{18} इलेक्ट्रॉन/सेकण्ड }
अतः स्पष्ट है। कि 1 एम्पियर धारा में 6.25 × 1018 इलेक्ट्रॉन प्रति सेकण्ड प्रवाहित होना चाहिए।
विद्युत सेल
विद्युत सेल एक ऐसी युक्ति है। जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है। तथा परिपथ में आवेश के प्रवाह को निरन्तर बनाए रखती है। विद्युत सेल कहलाती है। इसमें धातुओं की दो छड़े होती है। जो एक विद्युत अपघट्य़ के द्रव में डूबी होती है। इन छड़ो को इलेक्ट्रॉड कहते हैं।
सेल का विद्युत वाहक बल
एकांक आवेश को पूरे परिपथ में (सेल सहित) प्रवाहित करने में सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा को सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित करते हैं।
यदि किसी परिपथ में q आवेश प्रवाहित करने में सेल द्वारा दी गई ऊर्जा (या किया गया कार्य) W है। तो सेल का विद्युत वाहक बल
\footnotesize \boxed { E = \frac{W}{q} }
इसका मात्रक जूल/कूलाम या वोल्ट होता है।
टर्मिनल विभवान्तर
माना किसी परिपथ का विद्युत वाहक बल E है। तथा q आवेश परिपथ में प्रवाहित करने पर सेल द्वारा दी गई ऊर्जा W है। तो
E = \large \frac{W}{q}
यदि परिपथ में विभिन्न भागों में व्यय होने वाली ऊजाएं
W1, W2, W3,…. हो तो इसका योग W ही होगा अतः
विद्युत वाहक बल E = \large \frac{W}{q}
E = \large \frac{W_1 + W_2 + W_3 +….}{q}
E = \large \frac{W_1}{q} + \frac{W_2}{q} + \frac{W_3}{q}…..
चूंकि विभवान्तर V = \large \frac{कार्य\,W}{आवेश\,q} होता है इसलिए
यहां V1, V2, V3…… परिपथ के भिन्न-भिन्न भागों के टर्मिनल विभवान्तर कहते है।
पढ़ें… 12वीं भौतिकी नोट्स | class 12 physics notes in hindi pdf
आन्तरिक प्रतिरोध
जिस प्रकार तार विद्युत धारा के मार्ग में प्रतिरोध लगता है। उसी प्रकार सेल का घोल भी विद्युत धारा के मार्ग में प्रतिरोध लगता है। इसे सेल का आन्तरिक प्रतिरोध कहते हैं। इसे r प्रदर्शित करते हैं। आन्तरिक प्रतिरोध r का मान निम्न बातों पर निर्भर करता है।
यह प्लेटों के क्षेत्रफल को व्युत्क्रमानुपाती होती है।
यह सेल की प्लेटों के बीच की दूरी के अनुक्रमानुपाती होता है।
सेल का आन्तरिक प्रतिरोध विद्युत अपघटन की सान्द्रता बढ़ने पर बढ़ता है।
चैप्टर 3 के कुछ अध्याय को समझाने के लिए हमने अलग से पोस्ट तैयार की हैं। क्योंकि अगर इस पोस्ट में पूरा चैप्टर को कवर किया जाता तो यह बहुत बड़ी हो जाती है। जिस कारण आपको भी पढ़ने और समझने में परेशानी होती है इसलिए हमने अलग-अलग तैयार की है।
जो टॉपिक पढ़ना हो तो उसके लिंक पर क्लिक कर वह टॉपिक को पूरा पढ़ लो।
- विद्युत ऊर्जा तथा शक्ति
- प्रतिरोध और चालकता
- विशिष्ट प्रतिरोध और विशिष्ट चालकता
- अपवाह वेग के आधार पर ओम के नियम की उत्पत्ति
- अपवाह वेग और गतिशीलता
- ओम का नियम
- प्रतिरोध का संयोजन
- सेल के टर्मिनल विभवांतर विद्युत वाहक बल आंतरिक प्रतिरोध में संबंध
- किरचॉफ का नियम
- व्हीटस्टोन सेतु
- मीटर सेतु
- विभवमापी
- विभवमापी के उपयोग
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