पाॅलीहैलोजन यौगिक
वह कार्बनिक यौगिक जिनमें एक से अधिक हैलोजन परमाणु उपस्थित होते हैं। इन्हें पाॅलीहैलोजन यौगिक (polyhalogen compounds in Hindi) कहते हैं। कुछ महत्वपूर्ण पाॅलीहैलोजन यौगिकों का वर्णन नीचे दिया गया है उदाहरण –
1. मेथिलीन क्लोराइड
2. क्लोरोमैथेन
3. आयोडोफॉर्म
4. कार्बन टेट्राक्लोराइड
5. फ्रेऑन
6. डाईक्लोरो डाईफेनिल ट्राईक्लोरोएथेन (DDT)
1. मेथिलीन क्लोराइड
इसको सामान्य नाम डाईक्लोरोमैथेन होता है। एवं अणुसूत्र CH2Cl2 है।
यह रंगहीन, मीठी गंद वाला वाष्पशील द्रव है। मेथिलीन क्लोराइड का क्वथनांक 40°C (या 313K) होता है। व्यवसायिक स्तर पर इसका निर्माण मेथेन के क्लोरोनीकरण द्वारा किया जाता है।
मेथिलीन क्लोराइड के उपयोग
- मेथिलीन क्लोराइड का अत्यधिक उपयोग विलायक के रूप में किया जाता है।
- पेंट हटाने में इसका प्रयोग किया जाता है।
- औषधियों के निर्माण प्रक्रम में विलायक के रूप में
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5. फ्रेऑन
मेथेन व एथेन के क्लोरोफ्लोरो व्युत्पन्न को फ्रेऑन कहते हैं। फ्रेऑन एक निष्क्रिय अज्वलनशील तथा सरलता से द्रवित होने वाली गैस है।
फ्रेऑन 12 उद्योगों में सर्वाधिक प्रयोग होने वाले सामान्य फ्रेऑनों में से एक है।
(i) CFCl3 – ट्राईक्लोरोफ्लोरो मेथेन (फ्रेऑन–11)
(ii) CF2Cl2 – डाईक्लोरोडाईफ्लोरो मेथेन (फ्रेऑन–12)
(iii) C2F2Cl4 – टेट्राक्लोरोडाईफ्लोरो मेथेन (फ्रेऑन–112)
Note – 1. CFCl3 में कार्बन तथा फ्लोरीन 1 : 1 के अनुपात में होते हैं। इसलिए इसे फ्रेऑन–11 कहते हैं।
2. CF2Cl2 में कार्बन तथा फ्लोरीन 1 : 2 के अनुपात में होते हैं। इसलिए इसे फ्रेऑन–12 कहते हैं।
फ्रेऑन के उपयोग
- फ्रेऑन का उपयोग रेफ्रिजरेटर तथा वातानुकूलक (A.C.) में एक प्रशीतक के रूप में होता है।
- एरोसोल तथा प्रणोदक में इसका प्रयोग किया जाता है।
- विलायक के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। आजकल इसका उपयोग कम किया जाने लगा है क्योंकि यह ओजोन परत को क्षय करती है।
6. डाईक्लोरो डाईफेनिल ट्राईक्लोरोएथेन (DDT)
डाईक्लोरो डाईफेनिल ट्राईक्लोरोएथेन का संक्षिप्त नाम DDT है। यह सफेद रंग का गंधहीन, स्वादहीन क्रिस्टलीय ठोस होता है। यह जल में अविलेय चूर्ण होता है। जबकि कार्बनिक विलायकों में विलेय होता है। इसका गलनांक 110°C होता है इसका संरचना सूत्र निम्न होता है।
DDT के उपयोग
- DDT का उपयोग शक्तिशाली कीटनाशक के रूप में किया जाता है।
- कृषि में इसका उपयोग मच्छर व अन्य कीटों को मारने में किया जाता है।
Note – DDT एक शक्तिशाली तथा उपयोगी कीटनाशक तो है लेकिन इसका अधिक उपयोग सुरक्षित नहीं है। क्योंकि यह जैव अपघट्य पदार्थ नहीं है यह रसायनिक रूप से स्थायी है। जिस कारण यह वातावरण में एकत्रित हो जाता है। और अधिक दूरी तक हानिकारक सिद्ध होता है चूंकि यह जीव-जंतु और मनुष्य के लिए विषैला है। जिस कारण सन 1973 ई० में USA ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।
😍पढ़कर अच्छा लगा सर
Very nice notes
ऐसे ही जीव विज्ञान(biology) के भी बनाओ सर जी प्लीज हमें आशा है की आप जरुर बनायेंगे |
Thanks sir
Thank you 💖