एल्केन
वह हाइड्रोकार्बन जिनमें कार्बन परमाणु परस्पर एक दूसरे से एकल आबंध द्वारा जुड़े होते हैं। एल्केन (alkanes in Hindi) कहलाते हैं। एल्केन का सामान्य सूत्र CnH2n+2 होता है। जहां n एक पूर्णाक है। मेथेन इस श्रेणी का प्रथम सदस्य है। तथा एथेन दूसरा सदस्य है। यह हाइड्रोकार्बन सामान्य अवस्थाओं में निष्क्रिय होते हैं। क्योंकि यह अम्लों और अन्य अभिकर्मको के साथ क्रिया नहीं करते हैं। अतः इन्हें पैराफिन भी कहा जाता है।
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एल्केन बनाने की विधि
1. असंतृप्त हाइड्रोकार्बन से – हाइड्रोजन गैस सूक्ष्म विभाजित उत्प्रेरक निकिल की उपस्थिति में एल्कीन के साथ अभिक्रिया कर एल्केन बनती है। इस क्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं।
\scriptsize \begin{array}{rcl} CH_2=CH_2 \\ ऐथीन \end{array} + H2 \xrightarrow {Ni} \scriptsize \begin{array}{rcl} CH_3–CH_3 \\ एथेन \end{array}
\scriptsize \begin{array}{rcl} CH_3–CH=CH_2 \\ प्रोपीन \end{array} + H2 \xrightarrow {Ni} \scriptsize \begin{array}{rcl} CH_3–CH_2–CH_3 \\ प्रोपेन \end{array}
निकेल उत्प्रेरक के स्थान पर सूक्ष्म विभाजित उत्प्रेरक प्लेटिनम या पैलेडियम भी प्रयुक्त किया जा सकता है।
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2. एल्किल हैलाइड से – एल्किल हैलाइड का जिंक और तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) द्वारा अपचयन करने पर एल्केन प्राप्त होते हैं।
\scriptsize \begin{array}{rcl} CH_3–I \\ आयोडोमेथेन \end{array} + Zn + HCl \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} CH_4 \\ मेथेन \end{array} + Zn2+ + I– + Cl–
\scriptsize \begin{array}{rcl} C_2H_5–I \\ आयोडोएथेन \end{array} + Zn + HCl \longrightarrow \scriptsize \begin{array}{rcl} C_2H_6 \\ एथेन \end{array} + Zn2+ + I– + Cl–
एल्केन के उदाहरण
एल्केन के विभिन्न उदाहरण हैं जो निम्न प्रकार से हैं।
1. मेथेन – CH4
2. एथेन – C2H6
3. प्रोपेन – C3H8
4. ब्यूटेन – C4H10
5. पेन्टेन – C5H12
6. हेक्सेन – C6H14
7. हेप्टेन – C7H16
8. ऑक्टेन – C8H18
एल्केन के भौतिक गुण
- एल्केन अध्रुवीय प्रकृति के होते हैं जिस कारण ये ध्रुवीय विलायकों में अविलेय तथा ध्रुवीय विलायकों में विलेय होते हैं।
- मेथेन एल्केन श्रेणी का प्रथम सदस्य है।
- एल्केन में दुर्बल वांडरबॉल्स बल पाई जाते हैं।
- एल्केनों के घनत्व, एल्केन के अणुभार के बढ़ने पर बढ़ते हैं।
- एल्केन श्रेणी के प्रथम चार सदस्य (C1 से C4 तक) गैस हैं तथा C5 से C17 तक से द्रव हैं एवं C18 या अधिक कार्बन युक्त एल्केन 298K ताप पर ठोस हैं।
- एल्केनों के अणुभार में वृद्धि के साथ-साथ इनके क्वथनांकों में भी नियत वृद्धि होती है।
एल्केन के रासायनिक गुण
1. दहन – एल्केन वायु में ऑक्सीजन की उपस्थिति में गर्म करने पर पूर्णतः ऑक्सीकृत होकर कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाती हैं तथा अभिक्रिया में अधिक मात्रा में उष्मा निकलती है।
CH4 + 2O2 \longrightarrow CO2 + 2H2O + 212.8 Kcal
2. ताप अपघटन – एल्केनों को वायु की अनुपस्थिति में उच्च ताप पर गर्म करने पर कार्बनिक विलायकों का तापीय अपघटन हो जाता है। जिसे ताप अपघटन कहते हैं।
\scriptsize \begin{array}{rcl} C_2–H_6 \\ एथेन \end{array} \xrightarrow {500°C} \scriptsize \begin{array}{rcl} CH_2=CH_2 \\ ऐथीन \end{array} + H2
उच्चतर एल्केन उच्च ताप पर गर्म करने पर निम्नतम एल्केनों या एल्कीनों में अपघटित हो जाती हैं। ऊष्मा के अनुप्रयोग से छोटे अणुओं के बनने की इस प्रक्रिया को भंजन कहा जाता है।
एल्केन की संरचना
एल्केन श्रेणी के प्रथम सदस्य मेथेन की संरचना समचतुष्फलकीय होती है। एवं दूसरे सदस्य एथेन के अणुओं में दो चतुष्फलक एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
मेथेन और एथेन के समान ही सभी एल्केनों में प्रत्येक कार्बन परमाणु चार एकल बंध, एक समचतुष्फलकीय के चार शीर्षों की ओर दिष्ट रहते हैं। एल्केन में सभी बंध सिग्मा बंध (σ-बंध) होते हैं। तथा प्रत्येक कार्बन परमाणु sp3 संकरित होता है। एल्केनों के किन्ही दो बंधों के बीच 109°28’ मिनट का कोण होता है।