ऊष्मागतिकी कक्षा 11 के भौतिक और रासायनिक दोनों में एक-एक अध्याय है।
ऊष्मागतिकी रसायन विज्ञान के अंतर्गत हम एंथैल्पी, निकाय एवं परिवेश तथा हेस का नियम आदि बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। तथा और अन्य टॉपिक को भी संक्षिप्त में समझाने का प्रयास करेंगे।
जब एक रसायनिक अभिक्रिया होती है तो उसमें ऊर्जा परिवर्तन भी होता है। यह परिवर्तन विभिन्न रूपों में हो सकता है। जैसे ईंधनों, कोयला तथा लकड़ी के जलने में यह ऊर्जा परिवर्तन उष्मा तथा प्रकाश का रूप ले लेता है।
रासायनिक ऊष्मागतिकी नोट्स
- ऊष्मागतिकी भौतिक रसायन की वह शाखा है जिसमें भौतिक व रासायनिक परिवर्तनों के फलस्वरुप परिवर्तित ऊर्जा की मात्रा का अध्ययन किया जाता है।
- ब्रह्मांड का कोई भी भाग जिसके ऊपर ताप, दाब तथा भौतिक कारकों के परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। उस भाग को निकाय कहते हैं। तथा निकाय के शेष भाग को परिवेश कहते हैं।
- स्थिर ताप पर ऊष्मा परिवर्तनों के लिए प्रयोग होने वाले सरल फलन को एंथैल्पी कहते हैं। इसे H द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
- ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। समष्टि अथवा किसी वियुक्त निकाय की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है।
- आंतरिक ऊर्जा निकाय में विद्यमान सभी परमाणुओं, अणुओं और आयनों की ऊर्जाओं का योग होता है।
- ताप बढ़ाने पर एंट्रॉपी का मान बढ़ता है क्योंकि ताप बढ़ाने पर पदार्थ के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
- परम शून्य ताप अर्थात् शून्य केल्विन ताप पर शुद्ध क्रिस्टलीय पदार्थ की एंट्रॉपी शून्य होती है।
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रसायनिक ऊष्मागतिकी पाठ के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर हमने अलग से लेख तैयार किए हैं। ताकि आप को समझने में आसानी हो सके उन सभी लेख कर सीधा लिंक नीचे दिया गया है वहां से पहले जरूर पढ़ें।
• एंथैल्पी और एंट्रॉपी की परिभाषा क्या है, एंथैल्पी परिवर्तन किसे कहते हैं मात्रक, सिद्धांत
• हेस का नियम उदाहरण सहित लिखिए, अनुप्रयोग, व्याख्या | Hess law in Hindi
• ऊष्मागतिकी निकाय किसे कहते हैं खुला, बंद तथा विलगित निकाय का उदाहरण परिभाषा