प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन नोट्स | class 10 science chapter 9 notes in Hindi

प्रकाश

प्रकाश सरल रेखाओं में गमन करता है। प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में चलता है इसलिए इसे संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं पड़ती है। निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 108 मीटर/सेकंड होती है।

प्रकाश - परावर्तन तथा अपवर्तन नोट्स
प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन नोट्स

प्रकाश का परावर्तन

जब प्रकाश किसी चिकने व पॉलिशदार तल पर गिरता है तो प्रकाश का अधिकांश भाग तल से टकराकर वापस उसी माध्यम लौट आता है। तो इस प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। प्रकाश जिस तल से परावर्तित होता है परावर्तक तल कहलाता है।

प्रकाश का परावर्तन
प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश के परावर्तन के नियम

प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं।
1. आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है।
2. आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में होते हैं।

पढ़ें… मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार नोट्स | class 10 science chapter 10 notes in Hindi
पढ़ें…
आनुवंशिकता नोट्स | class 10 science chapter 8 notes in Hindi PDF

गोलीय दर्पण

गोलीय दर्पण का परावर्तक तल अंदर की ओर या बाहर की ओर वक्रित होता है।
वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर वक्रित होता है। उसे अवतल दर्पण कहते हैं।
तथा वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है। उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।

अवतल दर्पण के उपयोग

  1. टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों की हैडलाइट में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है।
  2. दंत विशेषज्ञ मरीजों के दांतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए अवतल दर्पण का उपयोग करते हैं।
  3. सौर भट्ठियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए अवतल दर्पण प्रयोग में लाए जाते हैं।

उत्तल दर्पण के उपयोग

  1. उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों में ड्राइवर की सीट के पास किया जाता है। जिससे ड्राइवर पीछे से आने वाले वाहनों को देख सकता है।
  2. उत्तल दर्पण का उपयोग दुकानों में सिक्योरिटी दर्पण के रूप में किया जाता है।

गोलीय दर्पण में प्रयुक्त होने वाले कुछ शब्द
1. ध्रुव – गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते हैं। ध्रुव को P से प्रदर्शित किया जाता है।
2. वक्रता केंद्र – गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग होता है। इस गोले के केंद्र को वक्रता केंद्र कहते हैं।
3. वक्रता त्रिज्या – गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग होता है। उसकी त्रिज्या को गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहते हैं।
4. मुख्य अक्ष – गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता त्रिज्या से गुजरने वाली रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते हैं।
5. मुख्य फोकस – दर्पण की मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें, परिवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिंदु पर आकर में मिलती है। या प्रतीत होती है। तब वह बिंदु गोलीय दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है।
6. फोकस दूरी – गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं।

दर्पण सूत्र

गोलीय दर्पण में इसके ध्रुव से बिंब की दूरी को (u) से प्रदर्शित करते हैं। जिसे बिंब दूरी कहते हैं। तथा ध्रुव से प्रतिबिंब की दूरी को (v) से प्रदर्शित करते हैं। जिसे प्रतिबिंब की दूरी कहते हैं। और ध्रुव से मुख्य फोकस की दूरी को (f) से प्रदर्शित करते हैं। जिसे फोकस दूरी कहते हैं।
इन तीनों राशियों के बीच संबंध को दर्पण सूत्र कहा जाता है।
\footnotesize \boxed { \frac{1}{f} = \frac{1}{v} + \frac{1}{u} }
Note – उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक (+) होती है। तथा अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक (-) होती है।

गोलीय दर्पण की फोकस दूरी तथा वक्रता त्रिज्या में संबंध – किसी गोलीय दर्पण की फोकस दूरी (f), इसकी वक्रता त्रिज्या (R) की आधी होती है। अर्थात्
फोकस दूरी = \large \frac{1}{2} × वक्रता त्रिज्या
\footnotesize \boxed { f = \frac{R}{2} } या \footnotesize \boxed { R = 2f }

आवर्धन

किसी गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन, प्रतिबिंब की लम्बाई तथा बिंब की लम्बाई का अनुपात होता है। इसे m से प्रदर्शित किया जाता है।
यदि h बिंब की लंबाई तथा h’ प्रतिबिंब की लंबाई हो तो गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन
m = \frac{प्रतिबिंब\,की\,लंबाई\,(h’)}{बिंब\,की\,लंबाई\,(h)}
m = \large \frac{h’}{h}
क्योंकि बिंब की दूरी u तथा प्रतिबिंब की दूरी v है तो आवर्धन
\footnotesize \boxed { m = - \frac{v}{u} }

आभासी प्रतिबिंब के लिए बिंब की लंबाई धनात्मक तथा वास्तविक प्रतिबिंब के लिए बिंब की लंबाई ऋणात्मक लेनी चाहिए।
Note – यदि m धनात्मक है तो प्रतिबिंब वास्तविक होता है।
यदि m ऋणात्मक है तो प्रतिबिंब आभासी होता है।

प्रकाश का अपवर्तन

जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो दूसरे माध्यम में इसके संचरण की दिशा परिवर्तित हो जाता है। इस परिघटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

प्रकाश का अपवर्तन
प्रकाश का अपवर्तन

प्रकाश के अपवर्तन के नियम

प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं।
1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलम्ब सभी एक ही तल में होते हैं।
2. किन्ही दो माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है।
\footnotesize \boxed { \frac{sin\,i}{sin\,r} = नियतांक = n}
जहां n एक नियतांक है। जिसे अपवर्तनांक कहते हैं।
इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं। तथा i आपतन कोण तथा r अपवर्तन कोण हैं।

प्रकाश के अपवर्तन के उदाहरण

  • पानी में आंशिक रूप से डूबी हुई पेंसिल को बाहर से देखने पर पेंसिल टेढ़ी प्रतीत होती है।
  • काँच के गिलास में पड़े नींबू वास्तविक आकार से बड़े प्रतीत होते हैं।
  • कागज पर लिखे शब्द गिलास स्लैब से देखने पर शब्द कागज से ऊपर उठे हुए प्रतीत होते हैं।

अपवर्तनांक

जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जा रहा हो तो अनुपात \large \frac{sin\,i}{sin\,r} को पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं। इस प्रतीक के रूप में 1n2 या n21 द्वारा लिखा जाता है। अर्थात्
\footnotesize \boxed { _1n_2 = n_{21} = \frac{sin\,i}{sin\,r} }

उदाहरण – यदि पहले माध्यम जल (water) तथा दूसरा माध्यम कांच (glass) हो तो
\footnotesize \boxed { _wn_g = \frac{sin\,i}{sin\,r} }
wng को जल के सापेक्ष कांच का अपवर्तनांक कहते हैं।

Note – यदि माध्यम-1 का अपवर्तनांक n1 तथा माध्यम-2 का अपवर्तनांक n2 हो तो
पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक
1n2 = \frac{माध्यम-1\,का\,अपवर्तनांक}{माध्यम-2\,का\,अपवर्तनांक}
\footnotesize \boxed { _1n_2 = \frac{n_2}{n_1} }
अपवर्तनांक वाले सभी आंकिक प्रश्न इसी सूत्र द्वारा हल किए जाते हैं। एक सूत्र और है 1n2 = \frac{1}{_2n_1} या 1n2 × 2n1 = 1 यह भी इसी का सूत्र है।

उदाहरण – यदि जल का अपवर्तनांक 1.33 तथा कांच का अपवर्तनांक 1.5 हो तो जल के सापेक्ष कांच का अपवर्तनांक
\footnotesize \boxed { _wn_g = \frac{n_g}{n_w} }
wng = \large \frac{1.5}{1.3}
wng = 1.3 (लगभग)

पढ़ें… कक्षा 10 विज्ञान नोट्स | class 10 science notes in Hindi PDF download NCERT 2024

गोलीय लेंस

दो तलों से घिरा हुआ वह पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों तल गोलीय होते हैं। लेंस कहलाता है।
वह लेंस जो किनारो की अपेक्षा बीच से मोटा होता है उसे उत्तल लेंस कहते हैं। इसे अभिसारी लेंस भी कहा जाता है।
वह लेंस जो बीच की अपेक्षा किनारो से मोटा होता है उसे अवतल लेंस कहते हैं। इसे अपसारी लेंस भी कहा जाता है।

लेंस सूत्र

यदि बिंब की दूरी (u), प्रतिबिंब की दूरी (v) तथा फोकस दूरी (f) है तो इनके बीच संबंध को लेंस सूत्र कहते हैं। तब
\footnotesize \boxed { \frac{1}{f} = \frac{1}{v} - \frac{1}{u} }
चिन्ह परिपाटी के अनुसार उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक जबकि अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।

आवर्धन

लेंस द्वारा बने किसी वस्तु के प्रतिबिंब की लंबाई तथा वस्तु की लंबाई के अनुपात को आवर्धन कहते हैं। तो लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन
m = \frac{प्रतिबिंब\,की\,लंबाई}{बिंब\,की\,लंबाई}
\footnotesize \boxed { m = \frac{v}{u} }

Note – छात्र ध्यान दें यह सूत्र उत्तल व अवतल लेंस की आवर्धन का सूत्र है। गोलीय दर्पण की आवर्धन का सूत्र अलग है। इन दोनों में अंतर याद रखना।

लेंस की क्षमता

किसी लेंस की क्षमता इसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रम के बराबर होती है। जबकि फोकस दूरी मीटर में हो।
इसे P से प्रदर्शित किया जाता है।
\footnotesize \boxed { P = \frac{1}{f (मीटर\,में)} }
लेंस की क्षमता का मात्रक डायऑप्टर होता है। जिसे D द्वारा निरूपित करते हैं।

यदि फोकस दूरी सेमी में हो तो लेंस की क्षमता
\footnotesize \boxed { P = \frac{100}{f (सेमी\,में)} }
उत्तल लेंस के लिए f का मान (+) तो लेंस की क्षमता धनात्मक होती है।
अवतल लेंस के लिए f का मान (-) तो लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है।

class 10 science chapter 9 notes in Hindi

कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 9 एक महत्वपूर्ण पाठ है। इस अध्याय के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण टॉपिक आते हैं जिन पर वार्षिक परीक्षाओं में दीर्घ और लघु दोनों प्रकार के प्रश्न आते हैं। इसलिए सभी छात्र से निवेदन है कि प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन पाठ को अच्छे से पढ़ें और लिखकर अभ्यास करें।


शेयर करें…

StudyNagar

हेलो छात्रों, मेरा नाम अमन है। Physics, Chemistry और Mathematics मेरे पसंदीदा विषयों में से एक हैं। मुझे पढ़ना और पढ़ाना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। मैंने 2019 में इंटरमीडिएट की परीक्षा को उत्तीर्ण किया। और इसके बाद मैंने इंजीनियरिंग की शिक्षा को उत्तीर्ण किया। इसलिए ही मैं studynagar.com वेबसाइट के माध्यम से आप सभी छात्रों तक अपने विचारों को आसान भाषा में सरलता से उपलब्ध कराने के लिए तैयार हूं। धन्यवाद

View all posts by StudyNagar →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *