कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण | Kundaliya chhand ki paribhasha

जिस रचना में मात्राओं और वर्णों की विशेष व्यवस्था तथा संगीतात्मक लय और गति की योजना रहती है। उसे छंद कहते हैं। छंद का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
छंद के आदि आचार्य पिंगल हैं। इसलिए छंदशास्त्र को पिंगलशास्त्र भी कहते हैं। आइए अब कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण का वर्णन करते हैं।

कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण
कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण

कुण्डलिया छंद

कुण्डलिया एक विषम मात्रिक छंद है। इसमें छह चरण होते हैं। तथा इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएं होती हैं। इसके प्रथम दो चरण दोहा और बाद के चार चरण रोला के होते हैं। यह दोनों छंद कुण्डली के रूप में एक दूसरे से गुंथे रहते हैं। इसीलिए इसे कुण्डलिया छंद (kundaliya chhand in Hindi) कहते हैं।
कुण्डलिया छंद जिस शब्द से आरंभ होता है। उसी शब्द पर इसका अंत होता है।

दोहे का चौथा चरण के रोला के प्रथम चरण का भाग होकर आता है। कुण्डलिया छंद की परिभाषा (Kundaliya chhand ki paribhasha) आसान भाषा में समझाइ गई है। एवं इसका उदाहरण का भी वर्णन किया गया है।

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कुण्डलिया छंद का उदाहरण

    । । । । । । ।  ।  ऽ । ऽ    ऽ ।  । ऽ   ऽ  ऽ ।  13+11 = 24 मात्राएं
  1. कृतघन कतहुॅं न मानहीं, कोटि करौ जो कोय।
    सरबस आगे राखिये, तऊ न अपनो होय॥
    तऊ न अपनो होय, भले की भली न मानै।
    काम काढ़ि चुपि रहे, फेरि तिहि नहिं पहचानै॥
    कह ‘गिरधर कविराय’, रहत नित ही निर्भय मन।
    मित्र शत्रु ना एक, दाम के लालच कृतघन॥

इस उदाहरण के प्रथम दो चरण दोहा हैं तथा बाद के चार चरण रोला हैं। अतः दोनों के कुण्डलित होने से यहां कुण्डलिया छंद का निर्माण हुआ है।

    ऽ ऽ  ऽ। ।   ऽ । ऽ  । ।  ऽ । ।   । ।   ऽ ।  13+11 = 24 मात्राएं
  1. साईं बैर न कीजिए गुरु पण्डित कवि यार।
    बेटा बनिता पौरिया यज्ञ करावन हार॥
    यज्ञ करावनहार राजमंत्री जो होई।
    विप्र पड़ोसी वैद्य आपुको तपै रसोई॥
    कह गिरिधर कविराय जुगन सों यह चलि आई।
    इन तेरह को तरह दिये बनि आवै साईं॥

इस पद्य के प्रथम और द्वितीय चरण दोहा हैं। तथा आगे के चार चरण रोला हैं। इन दोनों के कुंडलित होने से कुण्डलिया छंद का निर्माण हुआ है।

आशा है कि कुण्डलिया छंद की परिभाषा और उदाहरण से संबंधित यह लेख आपके सहायक रहा होगा। अगर आपका कोई प्रश्न या सुझाव है तो हमें कमेंट जरूर बताएं।

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कुण्डलिया छंद संबंधित प्रश्न उत्तर

Q.1 कुण्डलिया छंद का उदाहरण क्या है?

Ans. कृतघन कतहुॅं न मानहीं, कोटि करौ जो कोय।
सरबस आगे राखिये, तऊ न अपनो होय॥
तऊ न अपनो होय, भले की भली न मानै।
काम काढ़ि चुपि रहे, फेरि तिहि नहिं पहचानै॥
कह ‘गिरधर कविराय’, रहत नित ही निर्भय मन।
मित्र शत्रु ना एक, दाम के लालच कृतघन॥

Q.2 कुंडलिया छंद में कितनी मात्राएं होती हैं?

Ans. कुंडलिया छंद के प्रत्येक चरण में 24 मात्राएं होती हैं।


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