काव्य को पढ़ने अथवा सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है। उसे रस कहा जाता है। रस की अनुभूति में चार अवयव सहायक होते हैं।
1. स्थायी भाव
2. विभाव
3. अनुभाव
4. व्यभिचारी भाव या संचारी भाव
अद्भुत रस की परिभाषा और उदाहरण के बारे में आइए विस्तार से अध्ययन करते हैं।
अद्भुत रस
किसी विचित्र अथवा आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तुओं को देखकर जो आश्चर्य होता है। उसे विस्मय कहते हैं। यही विस्मय नामक स्थायी भाव विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से अद्भुत रस की दशा को प्राप्त होता है। अद्भुत रस का स्थायी भाव विस्मय होता है।
अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता है। एवं मन में विस्मय स्थायी भाव उत्पन्न हो जाता है। इसे ही अद्भुत रस कहा जाता है।
अद्भुत रस का उदाहरण
इहॉं उहॉं दुइ बालक देखा।
मति भ्रम मोरि की आन बिसेखा॥
तन पुलकित मुख वचन न आवा।
नयन मूॅंदि चरनन सिर नावा॥
स्पष्टीकरण – यहां स्थायी भाव विस्मय है।
आलम्बन – यहां वहां दो बच्चे दिखाई देना, माता कौशल्या (आश्रय)
अनुभाव – रोमांच और स्वरभंग
संचारी भाव – जड़ता, वितर्क आदि।
इन सबसे पुष्ट विस्मय नामक स्थायी भाव अद्भुत रस की दशा को प्राप्त हुआ है।
अद्भुत रस के अन्य उदाहरण
- देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया।
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया॥
- दूध-दूध गंगा तू ही अपने पानी को दूध बना दे
दूध-दूध उफ कोई है तो इन भूखे मुर्दों को जगा दे।
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गद् गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु॥
अद्भुत रस की परिभाषा उदाहरण सहित इसके अंतर्गत किया गया है। यह आपके लिए मददपूर्ण रहा होगा। अगर आपका इससे संबंधित कोई प्रशन या सुझाव है तो आप हमें जरूर बताएं।
अद्भुत रस संबंधित प्रश्न उत्तर
Q.1 अद्भुत रस की परिभाषा क्या है?
Ans. विस्मय नामक स्थायी भाव विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से अद्भुत रस की दशा को प्राप्त होता है।
Q.2 अद्भुत रस का स्थायी भाव क्या होता है?
Ans. अद्भुत रस का स्थायी भाव विस्मय है।
Q.3 अद्भुत रस का उदाहरण स्पष्ट कीजिए?
Ans. इहॉं उहॉं दुइ बालक देखा।
मति भ्रम मोरि की आन बिसेखा॥
तन पुलकित मुख वचन न आवा।
नयन मूॅंदि चरनन सिर नावा॥