वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण | Vibhats ras ki paribhasha

रस का शाब्दिक अर्थ होता है। ‘आनंद’ अर्थात् काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है उसे रस कहते हैं। रस को काव्य की आत्मा या प्राण तत्व माना जाता है।

रस के चार अवयव होते हैं।
1. स्थायी भाव
2. विभाव
3. अनुभाव
4. संचारी भाव
स्थायी भाव को प्रधान भाव कहा जाता है। आइए वीभत्स रस किसे कहते हैं। इसकी परिभाषा तथा उदाहरण का अध्ययन करते हैं।

वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण
वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण

वीभत्स रस

वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा या घृणा होता है। विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों से संयोग से जुगुप्सा नामक की स्थायी भाव वीभत्स रस (vibhats ras in Hindi) की दशा को प्राप्त होता है।

घृणित वस्तुओं, घृणित चीजों या घृणित व्यक्ति को देखकर या उसके संबंध में विचार करके ह्रदय में जो घृणा या ग्लानि उत्पन्न होती है। उसे ही वीभत्स रस कहते हैं। इस प्रकार भी वीभत्स रस की परिभाषा (Vibhats ras ki paribhasha) दी जा सकती है।

वीभत्स रस का उदाहरण

  1. सिर पर बैठ्यो काग ऑंख दोउ खात निकारत।
    खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत॥
    गीध जॉंघ को खोदि-खोदि कै मांस उपारत।
    स्वान आंगुरिन काटि-काटि कै खात विदारत॥

स्पष्टीकरण – यह राजा हरिश्चंद्र श्मशान घाट के दृश्य को देख रहे हैं। एवं उनके मन में उत्पन्न जुगुप्सा या घृणा स्थायी भाव है।
आलम्बन – मुर्दे, मांस और श्मशान का दृश्य, हरिशचंद (आश्रय)
उद्दीपन – गिद्ध, स्यार, कुत्ते आदि का मांस नोचना और खाना
अनुभाव – दर्शक का इसके बारे में सोचना
संचारी भाव – मोह, ग्लानि, आवेग, व्याधि आदि।
इन सबसे पुष्ट जुगुप्सा स्थायी भाव वीभत्स रस को प्राप्त हुआ है।

  1. कोउ ॲंतड़िनी की पहिरी माल इतरात दिखावत।
    कोउ चलबी लै चोप सहित निज अंगनि लावत।।
    कोउ मुंडनि लै मानि मोद कंदुक लौं डारत।
    कोउ रुंडनि पै बैठि करेजौ फारि निकारत।।

स्पष्टीकरण – इसमें स्थायी भाव – जुगुप्सा है।
आलम्बन – श्मशान का दृश्य
उद्दीपन – ॲंतड़ी की माला पहनकर इतराना, चोप सहित शरीर पर चर्बी का पोतना, हाथ में मुण्डों को लेकर गेंद की तरह उछालना आदि।
संचारी भाव – दैन्य, ग्लानि, निर्वेद आदि।
इन सबसे पुष्ट जुगुप्सा नामक स्थायी भाव वीभत्स रस की दशा को प्राप्त हुआ है।

वीभत्स रस की परिभाषा और उदाहरण से संबंधित यह आर्टिकल आपके लिए मददपूर्ण सिद्ध हुआ होगा। अगर आपका से संबंधित कोई क्वेश्चन है। कि आपको कहीं कोई गलती लगती है। तो हमसे जरूर कमेंट या ईमेल के माध्यम से संपर्क करें।
धन्यवाद


वीभत्स रस संबंधित प्रश्न उत्तर

Q.1 वीभत्स रस किसे कहते हैं परिभाषा दीजिए?

Ans. जुगुप्सा नामक की स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से संयोग करता है। तब वीभत्स रस की निष्पत्ति होती है।

Q.2 वीभत्स रस का एक उदाहरण लिखिए?

Ans. सिर पर बैठ्यो काग ऑंख दोउ खात निकारत।
खींचत जीभहिं स्यार अतिहि आनन्द उर धारत॥
गीध जॉंघ को खोदि-खोदि कै मांस उपारत।
स्वान आंगुरिन काटि-काटि कै खात विदारत॥

Q.3 वीभत्स रस का स्थायी भाव क्या होता है?

Ans. वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा होता है।


शेयर करें…

Gulam Waris

हेलो छात्रों, मेरा नाम गुलाम वारिस है। मैं मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश से हूं। 2022 में मैंने B.A. की शिक्षा को पूरा किया। और इसके बाद अब में B.ed. कर रहा हूं। हिन्दी, सामान्य ज्ञान, करंट अफेयर्स पर मुझे अच्छी समझ है। मुझे लिखना और पढ़ाना बहुत पसंद है। इसलिए ही मैं ऑनलाइन studynagar.com वेबसाइट की मदद से आप सभी छात्रों तक अपने ज्ञान को सरल और आसान भाषा में प्रस्तुत कराने के लिए तैयार हूं। धन्यवाद

View all posts by Gulam Waris →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *