भक्ति रस के बारे में कक्षा 11 और कक्षा 12 तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। अगर आपके बोर्ड की बुक में भक्ति रस के बारे में दिया है। तो इसे जरूर पढ़ें।
कुछ भाव है ऐसे होते हैं जो मानव हृदय में स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं। इन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
भक्ति रस
भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति या भगवद् (ईश्वर) विषयक रति होता है। भक्ति रस में ईश्वर की अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन किया जाता है। अर्थात ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम के भाव को भक्ति रस (bhakti ras ki paribhasha) कहते हैं।
भक्ति रस शांत रस से भिन्न होता है। जहां शांत रस निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है। वहीं भक्ति रस ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाता है। यही इसका स्थायी भाव है।
भक्ति रस के पांच भेद हैं।
शान्त, प्रीति, प्रेम, वत्सल और मधुर
भक्ति रस के उदाहरण
मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरा न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई॥
साधुन संग बैठि बैठि लोक-लाज खोई।
अब तो बात फैल गई जाने सब कोई॥
स्पष्टीकरण – यहां स्थायी भाव ईश्वर विषयक रति है।
आलम्बन – श्रीकृष्ण
अनुभाव – रोमांच, अश्रु, प्रलय
उद्दीपन – कृष्ण लीलाऍं, सत्संग
संचारी भाव – हर्ष, गर्व, निर्वेद, औत्सुक्य आदि
इन सबसे पुष्ट ईश्वर विषयक रति नामक स्थायी भाव अद्भुत रस की दशा को प्राप्त हुआ है।
भक्ति रस के अन्य उदाहरण
- राम जपु, राम जपु, राम जपु बावरे।
घोर भव नीर-निधि, नाम निज नाव रे॥
- ॲंशुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेलि बोई,
मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होय।
- उलट नाम जपत जग जाना
वल्मीक भए ब्रह्म समाना
- एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास,
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।
ईश्वर के प्रति भक्ति भावना स्थायी रूप में मानव संस्कार के प्रतिष्ठित है। इसी दृष्टि से भी भक्ति रस मान्य है। भक्ति रस की परिभाषा और उदाहरण को यहां व्यक्त किया गया है। अगर आपको इसको समझने में कोई परेशानी आती है। तो आपने कमेंट के माध्यम से बनता है।
भक्ति रस संबंधित प्रश्न उत्तर
Q.1 भक्ति रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
Ans. भक्ति रस में ईश्वर की अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन किया जाता है। अर्थात ईश्वर के प्रति श्रद्धा और प्रेम के भाव को भक्ति रस कहते हैं।
Q.2 भक्ति रस का स्थायी भाव क्या है?
Ans. भक्ति रस का स्थायी भाव ईश्वर विषयक रति है।
Q.3 भक्ति रस का उदाहरण क्या होता है?
Ans. राम जपु, राम जपु, राम जपु बावरे।
घोर भव नीर-निधि, नाम निज नाव रे॥