किसी कविता, कहानी, उपन्यास आदि को पढ़ने या सुनने एवं किसी नाटक को देखने से पाठक या दर्शक को जिस चरम आनंद की अनुभूति होती है। उसे रस कहा जाता है।
रस को काव्य की आत्मा माना जाता है।
वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। इसके बारे में आइए विस्तार से एवं आसान भाषा में अध्ययन करते हैं।
वात्सल्य रस
वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्य होता है। जहां विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से संयोग से वात्सल्य नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत होता है वहां वात्सल्य रस (vatsalya ras in Hindi) होता है। वात्सल्य रस को वत्सल रस भी कहा जाता है।
वात्सल्य रस की परिभाषा
वात्सल्य रस का संबंध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एक एवं सगे संबंधियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है। यही भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
अर्थात् माता का पुत्र/पुत्री के प्रति, गुरु का शिष्य के प्रति, बड़ों का छोटो के प्रति प्रेम आदि का भाव वात्सल्य कहलाता है यही वात्सल्य का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस की निष्पत्ति करता है।
हिंदी कवियों में सूरदास ने वात्सल्य रस को पूर्ण प्रतिष्ठा दी है। एवं तुलसीदास की विभिन्न कृतियों के वालकाण्ड में वात्सल्य रस की सुंदर व्यंजना द्रष्टव्य है।
वात्सल्य रस का उदाहरण
किलकत कान्ह घुटरुवन आवत।
मनिमय कनक नन्द के आंगन बिम्ब पकरिवे घावत॥
स्पष्टीकरण – यहां स्थायी भाव वात्सल्य है।
आलम्बन – कृष्ण की बाल सुलभ चेष्टाएं
अनुभाव – रोमांचित होना, मुख चूमना
उद्दीपन – किलकना, बिम्ब को पकड़ना
संचारी भाव – हर्ष, गर्व, चपलता, उत्सुकता आदि
इन सबसे पुष्ट वात्सल्य नामक स्थायी भाव वात्सल्य रस की दशा को प्राप्त हुआ है।
वात्सल्य रस के अन्य उदाहरण
- बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति।
अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।
- मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो।
बाल ग्वाल सब पीछे परिके बरबस मुख लपटाओ।।
- जसोदा हरि पालने झुलावैं।
हररावैं दुलरावैं मल्हावैं, जोइ सोइ कछु गावैं।
मेरे लाल को आव री निंदरिया, काहे न आन सुवावैं।
वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। इसके अंतर्गत इसी का अध्ययन किया गया है।
अगर आपको इससे संबंधित कोई परेशानी हो तो आप हमें कमेंट की सहायता से बता सकते हैं। हम आपकी जल्द से जल्द परेशानी को हल करने का प्रयास करेंगे।
धन्यवाद
वात्सल्य रस संबंधित प्रश्न उत्तर
Q.1 वात्सल्य रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए?
Ans. जहां विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव से संयोग से वात्सल्य नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत होता है वहां वात्सल्य रस होता है।
Q.2 वात्सल्य रस का उदाहरण क्या है?
Ans. किलकत कान्ह घुटरुवन आवत।
मनिमय कनक नन्द के आंगन बिम्ब पकरिवे घावत॥
Q.3 वात्सल्य रस का स्थायी भाव क्या है?
Ans. वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्य है।